खेल डेस्क. आईपीएल के 46वें मुकाबले में दिल्ली कैपिटल्स ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 16 रन से हरा दिया। इस हार के साथ विराट कोहली की टीम प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो गई। बेंगलुरु के 12 मैचों मेंसिर्फ आठ अंक है। वह अंक तालिका में सबसे नीचे 8वें स्थान पर है। कोहली की कप्तानी में लगातार तीसरे सीजन में टीम प्लेऑफ में पहुंचने में नाकाम रही। बेंगलुरु की बल्लेबाजी, गेंदबाजी और कोहली की कप्तानी इस सीजन में अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही।
बेंगलुरु के प्लेऑफ में नहीं पहुंचने की 5 वजह
1. कोहली की खराब कप्तानी : कोहली कप्तान के तौर पर कई बार नाकाम साबित हुए। गेंदबाजों के रोटेशन को लेकर कई बार उनकी आलोचना हुई। मोहम्मद सिराज को उन्होंने नौ मुकाबलों में मौका दिया, लेकिन उन्होंने 9.55 की इकॉनमी से रन दिए। नीलामी में उन्होंने स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज को नहीं खरीदा। मोइन अली और मार्क्स स्टोइनिस जैसे गेंदबाजों का सही से इस्तेमाल नहीं किया।
कोहली का कप्तानी रिकॉर्ड : वे 2012 से बेंगलुरु केनियमित कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में बेंगलुरु 2015 और 2016 में ही प्लेऑफ में पहुंच सकी। 100 से ज्यादा मैच में कप्तानी कर चुके खिलाड़ियों में उनका रिकॉर्ड सबसे खराब है। उन्होंने 108 मैच में 55 मुकाबले गंवाए। सिर्फ 49 ही जीत सके।
टॉप-4 कप्तानों में सिर्फ कोहली ही 50 मैच नहीं जीते
कप्तान | मैच | जीत | हार | टाई | नतीजा नहीं |
महेंद्र सिंह धोनी | 169 | 102 | 66 | 0 | 1 |
गौतम गंभीर | 129 | 71 | 57 | 1 | 0 |
विराट कोहली | 108 | 48 | 55 | 2 | 3 |
रोहित शर्मा | 100 | 57 | 42 | 1 | 0 |
2. मध्यक्रम फेल : बेंगलुरु ने इस सीजन में अब तक कुल 1968 रन बनाए। इनमें से टॉप-3 बल्लेबाजों ने 1237 रन बनाए। मध्यक्रम के बल्लेबाजों में मोइन अली और मार्क्स स्टोइनिस ने कुल 431 रन बनाए। अक्षदीप नाथ, शिमरॉन हेटमायर, हेनरिच क्लासेन, कॉलिन डी ग्रैंडहोम, और शिवम दुबे फेल रहे। इन पांचों ने मिलकर सिर्फ 162 रन ही बनाए। टीम अच्छी शुरुआत के बावजूद कई बार बड़ा स्कोर नहीं बना सकी, तो कई बार लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई।
3. विदेशी खिलाड़ी फेल : एबी डिविलियर्स को छोड़कर बेंगलुरु के लिए कोई भी अन्य विदेशी खिलाड़ी अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर सका। मोइन ने 220 और स्टोइनिस ने 211 रन बनाए, लेकिन इस टूर्नामेंट के हिसाब से यह काफी नहीं है। नीलामी में 4.2 करोड़ रुपए में खरीदे गए शिमरॉन हेटमायर बुरी तरह फ्लॉप साबित हुए। कोहली ने उन्हें चौथे नंबर के बल्लेबाज के तौर पर खरीदा, लेकिन वे चार मैच में 15 रन ही बना सके। टिम साउदी गेंद के साथ नाकाम रहे। उन्होंने तीन मैच में सिर्फ एक ही विकेट लिया। हेनरिच क्लासेन को दो मैच में मौका मिला, लेकिन वे कुल तीन रन ही बना सके।
4. दूसरे स्पिनर की कमी खली : बेंगलुरु के पास युजवेंद्र चहल को छोड़कर कोई अन्य क्वालिटी स्पिनर नहीं है। ऑलराउंडर के तौर पर खेलने वाले पवन नेगी और मोइन अली गेंद के साथ उतने कामयाब नहीं रहे। टीम ने इस सीजन में कुल 61 विकेट लिए। इनमें चहल ने अकेले ही 16 विकेट ले लिए। तेज गेंदबाजों ने कुल 31 विकेट अपने नाम किए। वहीं, अन्य स्पिनरों ने सिर्फ 10 विकेट लिए,चार रन आउट से मिले।
5. टॉस का असर : कोहली इस सीजन में 12 मैच में सिर्फ तीन में ही टॉस जीत सके। नौ मुकाबलों में उन्होंने टॉस गंवाए। एक बार टॉस जीतकर मैच भी जीता। वहीं, टॉस हारने के बावजूद तीन मुकाबले अपने नाम किए। इस सीजन के अधिकतर मुकाबलों में टॉस जीतने वाली टीम ने रन चेज को चुना।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
[ad_2]Source link