लाइफस्टाइल डेस्क. आमतौर एक्सीडेंट के दौरान कार में आगे बैठने वाले यात्री को इंजरी या मौत का खतरा ज्यादा माना जाता है लेकिन कारों के सेफ्टी फीचर पर हुआ नया अध्ययन इसके उलट है। इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट फॉर हाइवे सेफ्टी (आईआईएचएस) के मुताबिक, कारों में अगली सीट के मुकाबले पिछली सीट पर बैठे यात्री में इंजरी या मौत की आशंका ज्यादा होती है। शोध में इसके कई कारण गिनाए गए हैं।
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आईआईएचएस ने 117 ऐसी कारों का अध्ययन किया है जो दुर्घटनाग्रस्त हुई थीं। अध्ययन में पाया गया की एक्सीडेंट के दौरान पिछली सीट पर बैठे यात्री या तो मर चुके थे या घायल थे। ये मामले साफतौर पर बताते हैं कि आगे और पीछे की सीट पर सुरक्षा के इंतजाम बराबर नहीं हैं। ऐसी घटनाओं में सीने में इंजरी होने के मामले ज्यादा थे।
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आईआईएचएस के हालिया शोध के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में अगली सीट पर बैठे यात्री को सुरक्षा देने के लिए कारों में कई एडवांस फीचर जोड़े गए हैं लेकिन पीछे बैठे यात्रियों के लिए ऐसा नहीं किया गया है। अगली सीट पर बैठे यात्रियों की सुरक्षा के लिए सीट बेल्ट, फ्रंट एयरबैग्स और कुछ गाड़ियों में किनारों पर एयरबैग्स लगाए गए हैं। वहीं पीछे बैठे यात्रियों के लिए सिर्फ बेल्ट ही दी गई है।
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रिसर्च के मुताबिक,एक्सीडेंट के समय आगे बैठे यात्री को बेल्ट और एयरबैग मिलकर दुर्घटना से बचाते हैं। इसके अलावा यात्री के बैठने का तरीका दबाव झेलने में मदद भी करता है। वहीं इस दौरान पीछे बैठे यात्री के सीने को जिस दबाव और खिंचाव के साथ सुरक्षा दी जानी चाहिए वह उपलब्ध नहीं रहता। शोध के कहा गया है कि पीछे बैठे यात्री को सेफ्टी की नई तकनीक को कोई फायदा नहीं मिलता।
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एसोसिएशन फॉर सेफ इंटरनेशनल रोड ट्रेवल के मुताबिक, अमरीका में हर साल 37 हजार लोगों की मौत कार एक्सीडेंट में होती है। आईआईएचएस के प्रेसीडेंट डेविड हार्के का कहना है कि आज के दौर में बैक-सीट को सुरक्षा देना बेहद जरूरी है क्योंकि कार शेयरिंग का जमाना है। ऊबर और लिफ्ट जैसी कंपनियां कार शेयरिंग की सुविधा उपलब्ध भी करा रही हैं।