क्लाइंबिंग वर्ल्ड कप: 3 जगह से टूटी 13 फीट की दीवार पर 4 मिनट में चढ़ना होता है

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मॉस्को. रूस के मॉस्को में क्लाइंबिंग वर्ल्ड कप का 2 दिन का इवेंट पूरा हो गया। इसमें क्लाइंबिंग की सबसे कठिन स्पर्धा ‘बॉल्डर’ कराई जाती है। बॉल्डर में क्लाइंबर को खड़ी चढ़ाई वाली 13 फीट की दीवार पर 4 मिनट में चढ़ना होता है। ये दीवार 3 जगह से टूटी या घुमावदार होती है। ठीक किसी कटी हुई पहाड़ी की तरह। ये ऐसे घुमाव होते हैं, जहां से क्लाइंबर के फिसलने का काफी जोखिम रहता है। हालांकि ये सभी इवेंट इनडोर होते हैं।

  1. इवेंट की पुरुष कैटेगरी में कजाखस्तान के एडम ऑन्ड्रा और महिला कैटेगरी में स्लोवेनिया की जांजा गार्नब्रेट ने गोल्ड जीता। लेकिन इवेंट में खास चर्चा ब्रिटेन की क्लाइंबर शॉना कॉक्सी की रही। 2 बार की वर्ल्ड चैंपियन शॉना चोट की वजह से करीब डेढ़ साल से क्लाइंबिंग से दूर थीं। इस बार वापसी की और सिल्वर मेडल जीता। वे ओलिंपिक में जाने वाली ब्रिटेन की क्लाइंबिंग टीम में भी शामिल हैं। टोक्यो-2020 के लिए पहली बार क्लाइंबिंग को ओलिंपिक में शामिल किया गया है। फ्रांस और स्लोवाकिया ने अब तक सबसे ज्यादा 6-6 बार वर्ल्ड कप जीता है।

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  2. शॉना कॉक्सी ने कहा, ”मैं 5 या 6 साल की उम्र से क्लाइंबिंग कर रही हूं। अधिकतर समय हमें बिना कोई ग्लव्स पहने क्लाइंबिंग करनी होती है। कम उम्र में क्लाइंबिंग शुरू करने की वजह से मेरी उंगलियां आकार खो चुकी हैं। 2017 में भी मुझे उंगलियों के लिगामेंट में ही समस्या हुई थी। इससे उंगलियां कमजोर हो जाती हैं। ग्रिप बनाने में समस्या होती है। उंगलियों की मजबूती के बिना क्लाइंबिंग का कोई मतलब ही नहीं रह जाता। फिर भी मैं फिट होकर वापस आ सकी और अब हफ्ते में 10-10 घंटे तक ट्रेनिंग कर रही हूं। वजह है कि मेरा खेल ओलिंपिक में शामिल हो चुका है।”

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  3. कॉक्सी ने कहा, ”क्लाइंबिंग के ओलिंपिक में शामिल होने के बाद जो एहसास हो रहा है, उसे केवल ऐसा ही कोई व्यक्ति समझ सकता है जिसने बचपन से किसी एक काम को अपना सबकुछ दे दिया हो और अचानक एक दिन उसे पता चला कि अब उसे दुनिया के सबसे बड़े इवेंट में उसी काम में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना है।”

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    • 1. स्पीड- ये एक तरह की वर्टिकल रेस होती है। करीब 50 फीट की दीवार पर चढ़ाई करनी होती है। जो क्लाइंबर सबसे जल्दी ऊपर तक पहुंच गया, वो जीत जाता है।
    • 2. बॉल्डर- क्लाइंबर को खड़ी चढ़ाई वाली 13 फीट की दीवार पर 4 मिनट में चढ़ना होता है। दीवार 3 जगह से किसी पहाड़ी की तरह टूटी या घुमावदार होती है।
    • 3. स्पोर्ट- स्पोर्ट में भी दीवार 50 फीट की होती है। इसमें क्लाइंबिंग का समय तय होता है- 6 मिनट। जिसने चढ़ाई पूरी की या जिसने सबसे ज्यादा चढ़ाई की, वो जीतता है।
  4. तीनों इवेंट में क्लाइंबर को अलग-अलग रैंक दी जाती है। तीनों रैंक को आपस में गुणा कर क्लाइंबर के कुल पॉइंट निकाले जाते हैं। जिसके सबसे कम अंक होते हैं, वो जीतता है। मान लीजिए किसी क्लाइंबर को स्पीड में 10वीं, बॉल्डर में दूसरी और स्पोर्ट में 5वीं रैंक मिली। तीनों का गुणा कर उसके पॉइंट 100 हुए। वहीं दूसरा क्लाइंबर, जिसे स्पीड में 9वीं, बॉल्डर में पहली और स्पोर्ट में 15वीं रैंक मिली। उसके पॉइंट 135 हुए। यानी पहला क्लाइंबर, दूसरे से आगे रहा।

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      दो बार की वर्ल्ड चैंपियन शॉना कॉक्सी ने चोट के बाद वापसी कर सिल्वर जीता।


      स्लोवेनिया की जांजा गार्नब्रेट ने गोल्ड जीता।


      शॉना कॉक्सी।

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