हनुमान जी की आरती..जिसे सुनते ही रोम रोम प्रभु श्री राम और बजरंगबली हनुमान की भक्ति में खो जाता है। ऐसी ही है महाबली हनुमान जी की महिमा…जो करे हनुमान लला की आरती। उनसे दुख और तकलीफें रहती हैं कोसों दूर। इसलिए तो हनुमान जयंती के मौके पर हम आपके लिए लाएं हैं हनुमान जी की आरती जिसे सुनकर और पढ़कर आप भी कमा सकते पुण्य। जी हां…19 अप्रैल यानि कि कल शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी हनुमान जयंती। इस दिन लोग भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी का व्रत रखते हैं। मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो खासतौर से घर में हनुमान पाठ रखवाकर उनकी श्रद्धाभाव से आरती करते हैं। तो चलिए हनुमान जयंती के मौके पर आप भी सुनिए हनुमान जी की ये आरती।
हनुमान आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
लंक विध्वंस किए रघुराई। तुलसीदास स्वामी आरती गाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की॥
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