खेल डेस्क. चिदंबरम स्टेडियम की धीमी पिच की तुलना में केकेआर की टीम अब अपने घरेलू मैदान ईडन गार्डंस की पिच पर पहुंचकर सकारात्मक महसूस करेगी। यहां गेंद बल्ले पर अच्छी तरह आती है। चेन्नई की तरह नहीं, जहां खेल को आगे बढ़ाने के लिए मानो हर समय मशक्कत करनी पड़ती है। केकेआर की टीम को करीब एक सप्ताह से यात्रा नहीं करनी पड़ी है और हर किसी को इससे काफी आराम मिला होगा। केकेआर के बल्लेबाज ईडन गार्डन्स में खेलना पसंद करते हैं। हालांकि उनके गेंदबाज एक अच्छे विकेट की परिभाषा पर असहमत हो सकते हैं, लेकिन टीम इस मैदान पर बेहतर खेलती है।
अगर टीम अपने घरेलू मैदान को किले में तब्दील करते हुए यहां तीनों मुकाबले जीत जाती है तो प्लेऑफ की तैयारी पहले ही शुरू कर सकती है। हालांकि उन्हें आंद्रे रसेल को बचाकर रखने की जरूरत होगी। चेन्नई में वह दर्द में दिखाई दे रहे थे और पहले भी चोटों का शिकार हो चुके हैं। हालांकि टीम में कई अच्छे खिलाड़ी हैं, लेकिन विपक्षी टीमों में रसेल जितना खौफ किसी का नहीं है। दिलचस्प बात है कि केकेआर की प्रतिद्वंद्वी टीम दिल्ली भी अपने घरेलू मैदान कोटला की धीमी पिच के बजाय ईडन की पिच पर खेलना ज्यादा पसंद करेगी।
टीम की बल्लेबाजी बेहद मजबूत है और बल्लेबाज अच्छी गति से गेंद का बल्ले पर आना पसंद करते हैं। साथ ही रबाडा, इशांत, मौरिस और बोल्ट की मौजूदगी में टीम कीगेंदबाजी भी केकेआर से बेहतर नजर आती है। मुझे रबाडा को गेंदबाजी करते देखने में मजा आता है। वे खुद भी युवा हैं, लेकिन उन्होंने तेज गेंदबाजी आक्रमण की सहजता से अगुआई करना सीख लिया है। बेंगलोर में बेहतरीन लय में दिख रहे श्रेयस से भी मुझे एक और बेहतरीन पारी की उम्मीद है। हालांकि विराट कोहली कह चुके हैं कि आईपीएल का प्रदर्शन उनके फैसलों पर असर नहीं डालेगा, लेकिन श्रेयस की एक और मजबूत पारी से उनके अवसरों को नुकसान नहीं होगा। मैं यह भी देखना चाहूंगा कि अंपायर और मैच रेफरी निर्धारित समय में मैच खत्म करने के लिए क्या रुख अपनाते हैं। ओवर रेट लगातार बढ़ती जा रही है और हर कोई इसके साथ सहज नजर आता है। देखना वाकई दिलचस्प होगा।
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