नई दिल्ली. साल में दो बार नवरात्र होते हैं जिनमें से इस साल के प्रथम चैत्र नवरात्र का आगाज़ हो गया है। नवरात्र के पहले दिन देवी दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है तो वही दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की आराधना। ये देवी भी हर मनाकामना करती है। कहते हैं इस दिन कुंडलिनी शक्तियों को जागृत करने के लिए भी साधना की जाती है। माँ दुर्गा का ये दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को शुभ और अनंत फल देने वाला है। साथ ही इनकी तपस्या से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की बढ़ोतरी होती है। वही मां ब्रह्मचारिणी की आरती सुनने से भी मन को बेहद शांति पहुंचती है। लिहाज़ा हम मां अम्बे के इस रूप की आरती आपके लिए लाए हैं ताकि आप भी पुण्य अर्जित कर सकें।
ब्रह्माचारिणी देवी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
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