नई दिल्ली. कल दुनियाभर मेंमिलिए ऐसे ही फिक्रमंद सच्चे नायकों से जिनके लिए पेड़ लगाना और बचाने से बड़ा पुण्य कोई नहीं।
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बच्चों की तरह पालकर अपने दम पर 400 बरगद के पेड़ लगाने वाली 104 साल की सालूमरदा थिमक्का अम्मा को पिछले दिनों राष्ट्रपति ने पद्मश्री से सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन में इस मौके पर थिमक्का ने जब राष्ट्रपति के सिर पर हाथ रखा तो पीएम मोदी समेत सभी गणमान्य भावविभोर हो गए। मजदूरी करके गुजारा करने वाली कर्नाटक के रामनगर जिले में रहने वाली इस महिला को जब कोई बच्चा नहीं हुआ तो एक दिन उन्होंने बरगद का एक पौधा रोपा। कई साल तक इसकी बच्चे की तरह देखरेख की। फिर ऐसा हुआ कि जिंदगी के खालीपन को दूर करने के लिए पेड़ लगाने का सिलसिला उनका जूनून बन गया। थिमक्का अब तक 4 किलोमीटर हाईवे के किनारे करीब 400 बरगद के पेड़ लगा चुकी हैं जिनकी कीमत करीब 15 लाख रुपए है। पद्म पुरस्कार लेने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति भवन में भी एक बरगद रोपकर विदाई ली।