साइंस डेस्क. अंतरिक्ष यात्री स्पेस में कैसा महसूस करते हैं औरआर्टिफिशियल ग्रेविटी इंसान के शरीर पर क्या असर डालती है, नासा इसकी स्टडी कर रहा है। रिसर्च में शामिल होने के लिए नासा वॉलंटियर्स को 12 लाख रुपए ऑफर कर रहा है। इसके एवज में उन्हें दो महीने तक खास तरह के बिस्तर पर लेटकर समय बिताना होगा। प्रतिभागीपरेशान न हों इसके लिए फिल्में और टीवी देखने की व्यवस्था भी की गई है। शामिल लोगों को दिनचर्या का हर काम लेटकर करना होगा।
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रिसर्च नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी के एक्सपर्ट संयुक्त रूप से करेंगे। एक्सपर्ट रिसर्च की मदद से यह जानने की कोशिश करेंगे कि स्पेस में इंसान की लंबाई क्यों बढ़ जाती और मसल्स में होने वाली क्षति का कारण क्या है।
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यूरोपियन स्पेस एजेंसी का दावा है कि स्पेस में भारहीनता, कॉस्मिक रेडिएशन और आइसोलेशन के कारण शरीर में होने वाले डैमेज को समझने में मदद मिलेगी।रिसर्च के दौरान 2 दर्जन वॉलंटियर को 60 दिन तक लगातार बेड पर लेटे रहना होगा साथ ही सभी प्रतिभागियों को जर्मनभाषा में बात करना जरूरी होगा।
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प्रतिभागियों की उम्र 24 से 55 साल के बीच होने के साथ उन्हें स्वस्थ भी होना चाहिए।प्रतिभागियों के पैर सिर के मुकाबले ऊपर की ओर रखे जाएंगे ताकि शरीर के एक हिस्से में ब्लड इकट्ठा न हो सके।
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रिसर्च के मुख्य शोधकर्ता डॉ. एडविन मुल्डर के मुताबिक, स्पेस में अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत को बरकरार रखने के लिए आर्टिफिशियल ग्रेविटी का इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प है। इसे समझने के लिए 50 फीसदी प्रतिभागियों को आर्टिफिशियल ग्रेविटी चेंबर में रखा जाएगा। वे एक केंद्र के चारों ओर घूमेंगे और एक मिनट में 30 चक्कर लगाएंगे ताकि इस दौरान उनका रक्त शरीर के जरूरत वाले हिस्से में भी पहुंच सके।
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अन्य 50 फीसदी प्रतिभागियों को बिना घूमने वाले हिस्से में रखा जाएगा। इसके आधार पर दोनों समूहों के अनुभव और परिवर्तन का विश्लेषण किया जाएगा। यह स्टडी 3 माह तक चलेगी। प्रतिभागियों को हर चरण में हिस्सा लेना होगा। शोध खत्म होने पर उन्हें दो हफ्तों के लिए पुर्नवासकेंद्र में जांच के लिए भेजा जाएगा।