तृणमूल नेता भाजपा के करीब आए, ममता ने कार्रवाई का आदेश दिया

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कोलकाता.पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता मुकुल राय की तृणमूल कांग्रेस विधायक सब्यसाची दत्ता और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी से मुलाकात के बाद जोड़-तोड़ की राजनीति तेज हो गई है। अटकलें हैं कि ये दोनों नेता एक अन्य नेता के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। मामले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने मंत्री फिरहाद हकीम से कहा कि वह अनुशासनहीन लोगों पर सख्ती से कारवाई करें। इसके बाद हकीम ने पार्टी की बैठक बुलाई।

  1. बैठक के बाद हकीम ने सांसद डोला सेन को दत्ता के घर बातचीत के लिए भेजा। हालांकि, दत्ता ने कहा, ‘मुझे भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव नहीं मिला है। मुकुल राय मेरे परिवार से मिलना चाहते थे। हम एक-दूसरे को लंबे समय से जानते हैं। उन्होंने मेरी पत्नी से लुची आलू दम बनाने को कहा था। फिर हमने भारत- ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मैच देखा। हमने इस दौरान राजनीति पर कोई बात नहीं की।’ हालांकि, तृणमूल नेता हाकिम ने कहा कि हमारे दोस्त पार्टी के अंदर होते हैं। जबकि राय ने कहा कि दत्ता के पास अभी वक्त है। वहीं, अधीर चौधरी ने पूरे मामले को भाजपा का कानाफूसी अभियान बताया। उधर सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस और माकपा जल्द गठबंधन करेंगे। पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं। इनमें से कांग्रेस 17 और माकपा 25 सीटाें पर चुनाव लड़ेगी।

  2. तृणमूल: लोकसभा में चौथा बड़ा दल, ममता यह पकड़ खोना नहीं चाहेंगी

    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तृणमूल नेताओं की भाजपा से करीबी पर गंभीरता से ध्यान दे रही हैं। इसका कारण यह है कि तृणमूल कांग्रेस लोकसभा में चौथी बड़ी पार्टी है। इसकी लोकसभा में 34 सीटें हैं। पिछले चुनाव में तृणमूल ने 2009 के मुकाबले 15 सीटें ज्यादा जीती थीं। ममता इस पकड़ काे कायम रखना चाहती हैं। इसका एक कारण उनकी प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को भी माना जा रहा है। कोलकाता में महागठबंधन के 22 दलों की रैली कराकर वह अपनी ताकत दिखा चुकी हैं।

  3. भाजपा: यूपी में उपचुनाव में 3 सीटें खोई थीं, बंगाल से भरपाई की इच्छा
    भाजपा भले ही लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन प. बंगाल में उसके पास केवल 2 सीटें हैं। पिछले चुनाव में भाजपा को यहां 16.80% वोट मिले थे। भाजपा ने 2014 में 2009 के मुकाबले 1 सीट ज्यादा जीती थी। उत्तर प्रदेश में हुए लोकसभा के उपचुनाव में भाजपा अपनी तीन सीटें हार गई थीं। इनमें से एक सीट (गोरखपुर) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और एक अन्य सीट (फूलपुर) उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद माैर्य की थी। भाजपा इन सीटों की भरपाई प. बंगाल से करने की कोशिश में है।

  4. कांग्रेस: प. बंगाल ईकाई ने राहुल को चेताया, तृणमूल फूट डाल रही
    कांग्रेस लोकसभा में दूसरी बड़ी पार्टी है, लेकिन प. बंगाल में उसके पास केवल 4 सीटें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को यहां 9.58 % वोट मिले थे। ये 2009 की तुलना में 3.58% कम थे। कांग्रेस ने 2014 में 2009 के मुकाबले 2 सीटें कम जीती थीं। सूत्रों के अनुसार इस बार कांग्रेस-माकपा का गठबंधन होने वाला है। पश्चिम बंगाल इकाई ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से कहा था कि तृणमूल के नेता फूट डाल रहे। पार्टी तृणमूल से गठबंधन नहीं करे। इससे अच्छा माकपा से गठबंधन होगा। इसके बाद माकपा नेता सीताराम येचुरी ने राहुल से मुलाकात की थी।

  5. माकपा: साल 2009 से प. बंगाल में पिछड़ने लगी, कांग्रेस से उम्मीद जागी

    माकपा लोकसभा में नौवीं सबसे बड़ी पार्टी है। माकपा की प. बंगाल में केवल 2 सीटें हैं। पिछले चुनाव में माकपा को यहां 29.71% वोट मिले थे। माकपा ने 2014 में 2009 के मुकाबले 13 सीटें कम जीती थीं। इसी साल के चुनाव से प. बंगाल में माकपा पिछड़ने लगी थी। इस बार कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह मुर्शिदाबाद और रायगंज से अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करेगी। ये सीटें माकपा के पास हैं। कांग्रेस पहले इन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करना चाहती थी। माकपा ने इन सीटों पर चुनाव की घोषणा के पहले ही शुक्रवार को उम्मीदवार घोषित कर दिए थे।

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      Coalition politics in west Bengal

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