नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के आरोपी की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। यह निर्णय कोर्ट ने अपराधी के द्वारा लिखी गई कविताओं को पढ़ने के बाद लिया है। जस्टिस एस.अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह ने कहा, ‘जेल में आरोपी के द्वारा लिखी गई कविताएं यह बताती हैं कि उसे अपनी गलती का अहसास है, जो उससे कम उम्र में हो गई थी। अब उसने सुधार किया है।’ अपराधी ध्यानेश्वर सुरेश बोरकर पर बच्चे के अपहरण और हत्या का चार्ज है।
अपराधी ने खुदको सुधारने का प्रयास किया है
बेंच ने माना कि, ‘यह केस दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में आता है। अपराध के समय बोरकर की उम्र 22 साल थी। अब तक 18 साल वो जेल में बिता चुका है। जेल में उसका व्यवहार भी अच्छा था। वो कोई प्रोफेशनल किलर नहीं है। आरोपी ने फिर से समाज से जुड़ने की कोशिश की। खुदको बेहतर नागरिक के तौर पर स्थापित करने का प्रयास किया।जेल में ही बीए की पढ़ाई पूरी की। उसने आगे बढ़ने का प्रयास किया।’
कोर्ट ने माना- मौत की सजा जरूरी नहीं
फैसले में कहा गया, ‘जानकारी के आधार पर आरोपी के फिर से कोई अपराध करने की कोई आशंका नहीं है। वो अब समाज के लिए कोई खतरा नहीं होगा। साक्ष्य और इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मौत की सजा जरूरी नहीं है।’ आरोपी की ओर से सीनियर एडव्होकेट आनंद ग्रोवर ने कोर्ट के सामने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आरोपी गांधी रिसर्च फाउंडेशन के अंतर्गत प्रशिक्षण भी ले रहा है।
बोरकर ने एपेक्स कोर्ट में दायर की गई याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के मौत की सजा के फैसले पर पुनः सुनवाई करने की अपील की थी।
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