चेन्नई. भारतीय इंजीनियर नरेश कुमार ने बुधवार को मानव तस्करी और बाल उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए चेन्नई से जर्मनी के हेमबर्ग तक साइकिल से यात्रा शुरू की। 8500 किलोमीटर की इस यात्रा के दौरान वे मानवतस्करी के शिकार लोगों की मदद के लिए फंड इकठ्ठा करेंगे। इस अभियान को उन्होंने ‘फ्रीडम सीट’ नाम दिया है। नरेश प्रतिदिन कम से कम 120 किलोमीटर का सफर तय करेंगे। उन्होंने 90 दिन में हेमबर्ग पहुंचने का लक्ष्य रखाहै।
-
नरेश का लक्ष्य आधुनिक गुलामी के सभी रूपों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना है। वे यूएई, ओमान, ईरान, तुर्की, ग्रीस, स्लोवाकिया, बुल्गारिया और ऑस्ट्रिया सहित 12 देशों से होकर हेमबर्ग पहुंचेंगे। वे इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी ऐसा कर चुके हैं।
-
36 साल के नरेश ने कहा, ‘‘आजादीसबका हक है। हम गुलामी के पुराने दिनों की तुलना में अब अधिक गुलाम हैं। दुनियाभर में 4 करोड़ लोग यौन शोषण और बंधुआ मजदूरी से परेशान हैं। मैं जो धन जुटाता हूं, वह बंधुआ मजदूर के संघ को बचाने में मदद करता है।’’
-
नरेश इस यात्रा में अपने साथ बहुत कम सामान लेकर जा रहे हैं। इनमें कुछ कपड़े, परिवार और दोस्तों से संपर्क बनाए रखने के लिए जीपीएस गैजेट्स, स्लीपिंग बैग और रात में सोने के लिए टेंट है। वे साइकिल की मरम्मतके लिए टूल किट भी रखे हुए हैं।
-
नरेश की यह पहली अंतर-महाद्वीपीय साइक्लिंग है। पिछले साल उन्होंने फ्रेमेंटल, पर्थ से ओपेरा हाउस, सिडनी तक ऐसा किया था। 2017 में उन्होंने सेक्स के लिए महिलाओंकीतस्करी के खिलाफन्यूजीलैंड में 3300 किमी तक साइक्लिंग की थी।