जोधपुर.नेशनल डेस्क. पुलवामा के बाद भारतीय वायुसेना की कार्रवाई में जैश के 350 आतंकी मारे गए। अगले ही दिन पाकिस्तान के तीन विमान भारत में घुसे, जिन्हें भारत ने खदेड़ दिया, लेकिन उसी दौरान भारत का मिग 21 विमान क्रैश हो गया। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि इस दौरान एक पायलट लापता हो गया। पाकिस्तान का दावा है कि भारत का पायलट उनके पास है। भारतीय पायलट के गायब होने की खबर आने के बाद सोशल मीडिया समेत काग्रेस ने पायलट को वापस लाने की मांग की है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब जवाबी कार्रवाई में हमारा पायलट दुश्मन देश के पास हो। इससे पहले 1999 में युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को भी पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया। लेकिन, पाकिस्तान एयरफोर्स के एक अधिकारी ने उनकी जान बचाई। आठ दिन तक काफी टॉर्चर करने के बाद उन्हें फिर से भारत को सौंपा गया।
ऐसे पकड़े गए नचिकेता…
– 26 वर्षीय फाइटर पायलट नचिकेता को करगिल में 17 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित पाकिस्तानी चौकियों को तबाह करने की जिम्मेदारी दी गई थी। मिग-27 से उड़ान भर उन्होंने अपने एक लक्ष्य पर निशाना साधा ही था कि एक मिसाइल उनके विमान से टकराई और इंजन में आग लग गई। बहुत कम ऊंचाई से नचिकेता ने विमान से बाहर कूदे। कमर के बल जमीन पर गिरने के कारण वे घायल हो गए। थोड़ी देर में पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें घेर लिया।
पाकिस्तानी सैनिकों ने घेरा:10 साल बाद नचिकेता ने हादसे से जुड़े किस्से सुनाए। उन्होंने कहा कि नीचे गिरने के आधा घंटे बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें घेर लिया। उन्होंने अपनी पिस्टल से छह राउंड फायर किए। पाकिस्तानी सैनिकों ने भी उन पर फायर किए, लेकिन वे खुशकिस्मत रहे कि एक भी गोली उन्हें नहीं लगी।
– इस बीच पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया। पकड़ते ही उन्होंने नचिकेता के साथ मारपीट शुरू कर दी। नचिकेता को बचने की कोई उम्मीद नहीं बची थी। तभी पाकिस्तान एयर फोर्स का एक अधिकारी कैसर तुफैल वहां पहुंचा। कैसर करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ऑपरेशंस का निदेशक था। कैसर ने अपने उग्र सैनिकों को मुश्किल से काबू कर नचिकेता को अपने साथ एक कमरे में ले गए।
– नचिकेता बताते हैं कि- कैसर ने दोस्ताना व्यवहार किया। मेरे परिवार और एयर फोर्स से जुड़ने की बातें की। बाद में कैसर ने कहा भी उनके और नचिकेता के व्यक्तिगत जीवन में बहुत समानताएं मिलीं। इस कारण वे नचिकेता से प्रभावित हुए।
– वहां से नचिकेता को बटालिक सेक्टर में किसी स्थान पर ले जाया गया। बाद में एक हेलीकॉप्टर से स्कार्दू। वहां उन्हें लगातार टॉर्चर कर पूछताछ की गई। नचिकेता ने कहा भी था कि हर वक्त मौत सामने नजर आती थी, लेकिन फिर भी एक उम्मीद थी कि एक दिन अवश्य वे भारत वापस लौट सकेंगे।
आठ दिन बाद लौटने पर हुआ जोरदार स्वागत:भारत सरकार के प्रयासों से आठ दिन बाद उन्हें रेड क्रास को सौंप दिया गया। रेड क्रास के जरिए वे वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंचे। पहले वाघा और बाद में दिल्ली पहुंचने पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। उनके माता-पिता ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया।
– कमर में चोट लगी होने के कारण नचिकेता बाद में कभी अपनी पसंद का फाइटर प्लेन नहीं उड़ा पाए। मजबूरी में उन्हें हमेशा ट्रांसपोर्ट विमान उड़ाने पड़े। 2017 में वे ग्रुप कैप्टन के रूप में रिटायर हुए।
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