नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ने मंगलवार को दो सरकारी बैंकों कॉर्पोरेशन बैंक और इलाहाबाद बैंक को तत्काल सुधार की श्रेणी (पीसीए) से बाहर कर दिया। निजी क्षेत्र के धनलक्ष्मी बैंक को भी पीसीए से निकाला गया है। अब इन बैंकों पर नया कर्ज देने के लिए कोई अंकुश नहीं रहेगा। ये नई ब्रांच खोल सकेंगे और डिविडेंड भी दे सकेंगे।
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आर्थिक रूप से कमजोर बैंक जब पीसीए में डाले जाते हैं तो उन पर बंदिशें लागू हो जाती हैं। छोटे-मझोले कारोबारियों का कर्ज मिलने में दिक्कत आने के बाद सरकार बैंकों को पीसीए से बाहर करने की कवायद में लगी है। इससे पहले 31 जनवरी को आरबीआई ने बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स पर पीसीए की पाबंदी हटा ली थी।
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सरकार ने 21 फरवरी को 12 बैंकों में पूंजी डालने की घोषणा की थी। इसमें पीसीए में शामिल कुछ बैंक भी थे। कॉर्पोरेशन बैंक को 9,086 करोड़ और इलाहाबाद बैंक को 6,896 करोड़ रुपए मिले थे। यह रकम मिलने के बाद बैंकों के पूंजी अनुपात और एनपीए में सुधार आया है।
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कॉर्पोरेशन बैंक
दिसंबर 2018 तिमाही में ग्रॉस एनपीए 17.36% और नेट नपीए 11.47% था। बैंक को 60 करोड़ का मुनाफा हुआ था।इलाहाबाद बैंक
दिसंबर 2018 तिमाही में ग्रॉस एनपीए 14.38% और नेट नपीए 7.70% था। बैंक को 733 करोड़ का घाटा हुआ था।5 बैंक पीसीए में बचे
यूनाइटेड बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक, ओवरसीज बैंक, देना बैंक। इसमें देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो रहा है। -
एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार बैंकों के पास एमएसएमई सेक्टर को 5 लाख करोड़ रु. का और कर्ज देने का मौका है। छोटी कंपनियों को जरूरत का 70% तक कर्ज ही बैंकों से मिलता है। इन्हें बड़ी कंपनियों से समय पर पेमेंट नहीं मिलता तो ये भी समय पर कर्ज नहीं लौटा पाते हैं।
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निजी बैंकों के प्रमुखों के सैलरी पैकेज पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई ने एक ड्राफ्ट पेपर जारी किया है। इसके मुताबिक पैकेज का कम से कम 50% हिस्सा वैरिएबल होगा। वैरिएबल वेतन फिक्स्ड वेतन के 200% से अधिक नहीं होना चाहिए। अभी यह 70% है।
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वैरिएबल वेतन में ईसोप को भी शामिल कर लिया गया है। प्रदर्शन खराब होने पर वैरिएबल वेतन भी कम होगा। बैंक प्रमुख खास परिस्थितियों में पैसे लौटाने का समझौता करेगा। एनपीए रिजर्व बैंक के आकलन से अलग हुआ तो वैरिएबल रोका जा सकता है।
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