नई दिल्ली.मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए शनिवार को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का ऐलान किया। उनका अनशन 1 मार्च से शुरू होगा। केजरीवाल ने विधानसभा के बजट सत्रमें कहा कि अब पूरी दिल्ली में आंदोलन की जरूरत है। इस बार आंदोलन दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाए जानेके बाद ही खत्म होगा। अपने भाषण में उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा।
केजरीवाल ने कहा, ”जनता ने हमें 70 में से 67 सीटें दीं। इसके बावजूद हमदिल्ली के लिए अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं। हम दिल्ली के लिएअपना बलिदान तक दे सकते हैं। आजादी के बाद से अब तक दिल्ली के साथ ही अन्याय हुआ है। एक चुनी हुई सरकार दिल्ली के लोगों के लिए काम नहीं कर सकती। क्या यहां के लोगों के वोट की कीमत दूसरे राज्यों से कम है? दिल्ली पुलिस, एमसीडी और डीडीए पर केंद्र का अधिकार है। ऐसे में जनता क्यों अपराध, गंदगी और विकास नहीं होने की परेशानी झेले। अब सिर्फ आंदोलन ही एक रास्ता है।”
आप सरकार नेविधानसभा में प्रस्ताव किया था
केजरीसरकार ने पिछले साल 6-8 जून तक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पास किया था। इसके बाद यह केंद्र के पास भेजा गया था, लेकिन इस पर मुहर नहीं लग पाई। आम आदमी पार्टी ने 2013 और 2015 के चुनावी घोषणापत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का वादा किया था, पर तीन साल पहले आप सरकार द स्टेट ऑफ दिल्ली बिल, 2016 जारी करके जनता की राय मांगने से आगे नहीं बढ़ पाई।
दिल्ली में एलजी प्रशासक होगा, केंद्र का कानून चलेगा
दिल्ली को अभी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त है। यह दर्जा दिल्ली को संविधान के अनुच्छेद-239 में है। समवर्ती सूची में केंद्र और राज्य दोनों को कानून बनाने का अधिकार होगा। अगर एक ही विषय पर राज्य और केंद्र दोनों कानून बना लेते हैं, तो केंद्र का कानून ही लागू होगा। दिल्ली में एक प्रशासक (उपराज्यपाल) होगा।
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