लाहौर. पाकिस्तान के एक मंत्री 24 घंटे बाद ही अपने एक बयान से पलट गए। पाक सरकार ने शनिवार को अपने दावे को खारिज करते हुए कहा कि बहावलपुर स्थित मदरसे का जैश-ए-मोहम्मद से कोई ताल्लुक नहीं है। शुक्रवार को भारत और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को बहावलपुर स्थित जैश के हेडक्वार्टर, एक मदरसे और मस्जिद को कब्जे में ले लिया था। 14 फरवरी को पुलवामा में हुए फिदायीन हमले की जिम्मेदारी जैश ने ही ली थी, हमले में भारत के 40 जवान शहीद हो गए थे।
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पाक के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने शनिवार को कहा कि यह एक मदरसा है। भारत इसे जैश का हेडक्वार्टर बताकर प्रोपेगैंडा फैला रहा है। शुक्रवार को चौधरी ने कहा था कि पंजाब सरकार ने बहावलपुर के मदरसातुल साबिर और जामा-ए-मस्जिद सुभानल्लाह को अपने कब्जे में ले लिया है। इसका फैसला गुरुवार को हुई नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक में लिया गया था।
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चौधरी ने यह भी बताया कि मदरसातुल साबिर और जामा-ए-मस्जिद सुभानल्लाह को पंजाब सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया था। इन पर जैश का मुख्यालय होने का आरोप था। अब इस मामले में एक प्रशासक को नियुक्त किया गया है।
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बहावलपुर स्थित मदरसे में वर्तमान में 70 मौलवी और 600 छात्र हैं। पंजाब पुलिस कैंपस को सुरक्षा प्रदान करती है। बहावलपुर के डिप्टी कमिश्नर शाहजैब सईद ने कहा कि मदरसे में रोजमर्रा का कामकाज चल रहा है। मदरसे और मस्जिद का अजहर से कोई संबंध नहीं है। मदरसे में बच्चे केवल पढ़ते हैं, उनका प्रतिबंधित आतंकी संगठन और उसकी गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है।
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जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन ने 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था। इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। इमरान खान सीआरपीएफ जवानों पर हुए इस हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से इनकार कर चुके हैं।
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बीते सालों में यह पहली बार था कि लाहौर से करीब 430 किमी दूर स्थित इस परिसर को पाकिस्तान ने आतंकी संगठन जैश सरगना मसूद अजहर से जुड़ा माना था। शुक्रवार को पाक के आंतरिक मंत्रालय ने कहा था कि जैश के ठिकानों पर कार्रवाई की जाएगी।