साइंस डेस्क.आधिकारिक तौर पर क्लाइमेट चेंज के कारण पहला स्तनधारी चूहा ब्रैमबल केई मेलोमाइस विलुप्त हो चुका है। इसे ब्रम्बल केई मोज़ेक-टेल्ड चूहा भी कहा जाता है जो ऑस्ट्र्रेलिया में पाया जाता है। ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री मेलिसा प्राइस ने हाल ही में एक बयान जारी करके इसकी पुष्टि की है।
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क्वींसलैंड (ऑस्ट्रेलिया) सरकार की ओर से जून 2016 में इसके विलुप्त होने की आशंका जाहिर की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक से इस प्रजाति का एक भी चूहा नहीं दिखाई दिया था। कई बार शोधकर्ताओं ने इसे ढ़ूंढने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। 2018 में इसे इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट में शामिल किया।
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चूहे की इस प्रजाति को बचाने के लिए 2008 में पांच वर्षीय योजना बनाई गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे बचाने के लिए बहुत अधिक महत्व नहीं दिया गया और नतीजा सामने है। ऑस्ट्रेलिया में जीवों के विलुप्ति की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले बौना ऐमू और ब्लैक ऐमू भी 1820 में ही विलुप्त हो चुके हैं।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चूहा खासतौर पर आईलैंड पर पत्तियों वाले पेड़-पौधों के बीच पाया जाता है। 2004 से लेकर 2014 के बीच धीरे-धीरे यहां पौधों की संख्या घटती गई। समुद्री पानी का दायरा बढ़ा और आईलैंड पानी में डूबता गया। नतीजा इनकी संख्या में गिरावट होती गई।
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- 1800 में पहली बार इन्हें खास जगह पर देखा गया और रिपोर्ट में शामिल किया गया
- 1978 में शोधकर्ताओं ने सैकड़ों ब्रैमबल केई मेलोमाइस को एक आईलैंड पर देखा
- 1998 तक इनकी संख्या में दो अंकों में रह गई थी
- 2004 के अंत में इनकी संख्या घटकर मात्र 12 रह गई थी
- 2008 में इसे बचाने के लिए क्वींसलैंड सरकार ने पांच साल का एक प्लान बनाया
- 2011 के अंत में वैज्ञानिकों को दिखना बंद हुआ और ढूंढना शुरू किया गया
- 2018 में आईयूसीएन ने संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट में शामिल किया
- 2019 : इतिहास का हिस्सा बना ब्रैमबल केई मेलोमाइस