नई दिल्ली. जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम कर रही 16 साल की स्वीडिश लड़की ग्रेटा थनबर्ग ने वीडियो संदेश के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है। उसका कहना है कि इस मामले में छोटी-छोटी सफलताओं का जश्न मनाकर केवल बातें ही करते रहे तो वे फेल हो जाएंगे। ऐसा हुआ तोइतिहास उन्हें सबसे बड़े विलेन की संज्ञा देगा।
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ग्रेटा ने विश्व के सभी प्रमुख नेताओं को वीडियो संदेश भेजकर जयवायु परिवर्तन पर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि बिजनेस ही करते रहे तो दुनिया को बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ेगा।
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ग्रेटा अस्पर्जर सिंड्रोम से जूझ रही हैं। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज को सोशल स्किल में परेशानी होती है। वह एक विषय पर असाधारण तरीके से ध्यान केंद्रित करतारहता है और एक ही काम और व्यवहार को बार-बार करता रहता है।
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ग्रेटा स्वीडिश संसद के बाहर हुई ‘स्कूल स्ट्राइक’ के दौरान सुर्खियों में आई थीं। 2018 में उन्होंने यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज क्रॉन्फ्रेंस में भाषण दिया था। तब उनकी काफी सराहना की गई थी।
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पोलैंड में हुई कॉन्फ्रेंस में ग्रेटा ने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा था कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए मौजूदा सिस्टम ठीक नहीं है तो इसे ही तब्दील करना होगा। उनका कहना था कि कोयले को जमीन के भीतर ही रहने दो।
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क्रॉन्फ्रेंस मेंउन्होंने कहा था, ‘हम विश्व के नेताओं से भीख नहीं मांग रहे। उन्होंने इस विषय को पहले भी नजरंदाज किया है और आगे भी करते रहेंगे,लेकिन उन्हें समझने की जरूरत है कि वक्त बदल रहा है। लोगों के पास ही असली ताकत है।’
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भारत सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने का काम कर रहा है। जलवायु परिवतर्न से निपटने के लिए मोदी 121 देशों की संस्था इंटरनेशनल सोलर अलायंस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हालांकि इसके साथ ही सरकार विकास को सबसे ज्यादा तरजीह दे रही है।
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ग्लोबल वार्मिंग को खतरा नहीं मानते। नवंबर 2018 में उन्होंने अपनी ही सरकार की वह रिपोर्ट खारिज कर दी थी, जिसमें जलवायु परिवर्तन को अमेरिका के लिए खतरा माना गया था। उनके रवैएने पर्यावरण वैज्ञानिकों और कार्यकर्ताओं को खासा नाराज कर दिया था।