किसी के शव की मंगनी की अंगूठी से पहचान हो सकी तो कोई महज 14 दिन के बेटे को छोड़ गया

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जयपुर/लखनऊ/चंडीगढ़/वाराणसी. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में 40 जवान शहीद हो गए। हमला इतना भयावह था कि जवानों के चिथड़े उड़ गए। एक जवान की पहचान उसके हाथ में मौजूद मंगनी की अंगूठी से हो सकी। शवों की क्षत-विक्षत हालत होने की वजह से तीन शहीदों की अभी भी शिनाख्त होना बाकी है। ये जवान शहादत के बाद पीछे अपना परिवार छोड़ गए हैं। कोई शादी के सात साल बाद बाद पिता बना था। किसी के घर में कैंसर से जूझ रही बुजुर्ग मां है, जिसे अब भी लगता है कि बेटा लौट आएगा। वहीं, किसी के परिवार में 14 दिन का नवजात बेटा है। दैनिक भास्कर प्लस ऐप ऐसे ही शहीदों की दास्तान बता रहा है…

शादी होनी थी, मंगनी की अंगूठी के जरिए शव की पहचान हुई
पुलवामा हमले में रोपड़ के गांव रौली के रहने वाले 28 वर्षीय कुलविंदर सिंह शहीद हो गए। उनकी पहचान मंगनी की अंगूठी से हुई। उनकी मंगनी पिछले साल 8 नवंबर को हुई थी। कुछ ही महीनों बाद शादी होनी थी। नया घर बनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी थीं, लेकिन इन खुशियों और तैयारियों को अचानक ग्रहण लग गया। कुलविंदर के ही गांव के 14 और जवान भारतीय सेना में हैं। वहीं, कई रिटायर्ड सैनिक इस गांव में रहते हैं। उन्होंने 40 शहीदों के खून का बदला लेने के लिए आर्मी को फ्री-हैंड देने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है।

लंबे अरसे बाद बस चला रहे थे शहीद जयमल
पंजाब के मोगा जिले के कस्बा कोट ईसे खां के रहने वाले सीआरपीएफ जवान जयमल सिंह जिस बस को चला रहे थे, वही फिदायीन आतंकी हमले की शिकार हुई। परिवार के लोगों ने बताया कि आमतौर पर जयमल की ड्यूटी ऑफिस में रहती थी। गुरुवार को लंबे अरसे बाद उनकी बस चलाने की ड्यूटी लगी। 19 साल की उम्र में सीआरपीएफ में भर्ती हुए जयमल के परिवार में पत्नी और 6 साल का एक बेटा है। शहीद की पत्नी ने कहा कि लोग 4 दिन सिर्फ बात करेंगे, लेकिन सरकार कुछ नहीं करेगी। हम जैसे लोगों को तो रोज मरना है। हमारी दुनिया तो खत्म हो गई।

7 साल बाद बेटा जन्मा, 7 महीने बाद पिता शहीद हुए
तरनतारन जिले के गं‌डीविंड धात्तल गांव के रहने वाले सुखजिंदर सिंह भी इस आतंकी हमले में शहीद हो गए। सुखजिंदर 2003 में 19 साल की उम्र में सीआरपीएफ में आए थे। 8 महीने पहले ही वे प्रोमोट होकर हेड कांस्टेबल बने थे। पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन पर थी। बड़े भाई जंटा सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह 10 बजे भाई ने फोन करके अपना हाल-चाल बताया और परिवार के बारे में पूछा था। शाम 6 बजे शहादत की खबर मिली। शादी होने के बाद 7 साल की मन्नतों के बाद 2018 में सुखजिंदर को बेटे की खुशी मिली थी। उन्होंने बेटे का नाम गुरजोत सिंह रखा था। अब 7 महीने बाद ही गुरजोत के सिर से पिता का साया उठ गया।

इस शहीद के परिवार में 14 दिन का बेटा
फिदायीन हमले में कांगड़ा के सिपाही तिलकराज शहीद हो गए। तिलकराज तीन दिन पहले ही गांव से छुट्टी पूरी करके ड्यूटी पर पहुंचे थे। वे अपने नवजात बेटे को देखने आए थे। उसे पहली और आखिरी बार दुलार करके वे ड्यूटी पर रवाना हुए थे। तिलकराज के परिवार में 14 दिन के बेटे के अलावा दो साल का एक और बेटा और पत्नी है।

कैंसर से जूझ रही मां को लगता है कि बेटा लौटेगा
पड़ाव क्षेत्र के बहादुरपुर गांव निवासी अवधेश यादव उर्फ दीपू पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए। तीन दिन पहले मंगलवार को ही वे यहां से ड्यूटी पर वापस गए थे। गुरुवार शाम जब उनके शहीद होने की खबर गांव पहुंची तो पिता ने परिवार से इस बात को छिपाए रखा। लेकिन कैंसर से जूझ रही मां घर के सामने लगी भीड़ से सशंकित है। उसे अब भी उम्मीद है कि बेटा देश की सीमा से लौटेगा तो कैंसर का इलाज कराएगा।

पिता ने कहा- सामने से हमला होता तो बेटा 15 आतंकियों पर भारी पड़ता
वाराणसी के तोफापुर बराइन गांव निवासी रमेश यादव भी शहीद हो गए। रमेश की शादी 4 साल पहले रेणु से हुई थी। उनका डेढ़ साल का एक बेटा है। बहन सरोज के मुताबिक, रमेश ने कहा था कि होली पर आएंगे। हमारा सपना टूटा नहीं, बिखर गया। पिता श्याम नारायण ने कहा- मेरे बेटे को गद्दारों ने धोखे से मारा। सामने से तो वह 15 आतंकियों पर भारी पड़ता।

पत्नी से लौटने का वादा कर ड्यूटी पर गए थे शहीद राम वकील
मैनपुरी के बरनाहल स्थित गांव विनायकपुर के सैनिक राम वकील 10 फरवरी को ही छुट्टी बिताकर वापस लौटे थे। पत्नी गीता से वादा करके गए थे कि वापस लौटकर आऊंगा, अपना मकान बनवाना है। राम वकील के तीन छोटे बच्चे हैं। बच्चे अब मां से पूछ रहे हैं कि पापा को क्या हो गया? शहीद की पत्नी ने कहा कि आतंकवादियों के सफाए के लिए सरकार कुछ करना नहीं चाहती है, तभी यह सब हो रहा है।

भाई ने कहा- बॉर्डर पर जाकर पाक को जवाब देना चाहता हूं
सांगोद क्षेत्र के विनोद कलां गांव के हेमराज मीणा मंगलवार को ही ड्यूटी पर गए थे। जाते वक्त हेमराज मीणा ने पत्नी से 20 दिन बाद ही वापस लौटने का वादा किया था और कहा था कि आने के बाद परिवार के साथ घूमने जाएंगे। हेमराज मीणा के बड़े भाई रामविलास मीणा का कहना है कि पाकिस्तान को इसका जवाब मिलना चाहिए। मैं खुद बॉर्डर पर जाकर पाकिस्तान को इसका जवाब देना चाहता हूं।

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Martyrdom of martyrs in the Pulwama attack


शहीद अवधेश


शहीद हेमराज मीणा


शहीद जयमाल


शहीद कुलविंदर


शहीद कुलविंदर का परिवार


शहीद रमेश यादव


शहीद रामवकील


शहीद सुखजिंदर


शहीद तिलकराज

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