ममता का हिंदी, माया का ट्वीट पर जोर, प्रियंका का कीड़ा मंत्र

[ad_1]


कोलकाता (धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया)/नई दिल्ली(मुकेश कौशिक)/लखनऊ(विजय उपाध्याय).पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए कमर कस चुकी हैं। ममता हर वो काम पूरी ताकत से कर रही हैं, जो उन्हें पीएम की कुर्सी के नजदीक ले जाए। इसलिए वे इन दिनों हिंदी पर जोर दे रही हैं। अपनी छवि को राष्ट्रव्यापी बनाने के लिए वे ऐसा कर रही हैं और पार्टी के अन्य नेताओं को भी यही सलाह दे रही हैं। पहली बार पार्टी पश्चिमबंगाल, असम, झारखंड, ओडिशा और त्रिपुरा समेत 14 राज्यों में उम्मीदवार खड़े करने जा रही है।

  1. मायावती इस बार कोई चूक नहीं करना चाहतीं। वे अब तक कहती थीं कि मेरा वोटर न अखबार पढ़ता है और न टीवी देखता है, इसलिए वो मीडिया की परवाह नहीं करती हैं। लेकिन, अब पहली बार वो खुद ट्विटर पर आ गई हैं। समझा जा रहा है कि सोशल मीडिया के अहम रोल से जो फायदा भाजपा को पिछले चुनाव में मिला था, उसी को देखते हुए अब मायावती ने तमाम कोशिशों के साथ सोशल मीडिया की तरफ भी रुझान किया है।नई पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए भतीजे आकाश आनंद को सक्रिय किया। वह कार्यक्रमों में साथ ही देखे जा रहे हैं।

  2. कांग्रेस भी प्रियंका गांधी को गेम चेंजर मान रही है। हालांकि, प्रियंका मिशन को गुपचुप तरीके से अंजाम देना चाहती हैं। इसलिए उन्होंने 7 फरवरी को जब काम संभाला तो पार्टी के लोगों को अफ्रीकी कीड़े की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि ये कीड़ा बिना शोर किए दुश्मन को भीतर से पूरी तरह खा जाता है। उन्होंने कहा कि वे इसी शैली में राजनीति करना चाहती हैं।प्रियंका के तीन वॉर रूम होंगे। वे लखनऊ के प्रदेश मुख्यालय में चार दिन बैठेंगी। दो दिन दिल्ली में एआईसीसी मुख्यालय में रहेंगी। वे अपने घर पर भी वॉर रूम रखेंगी।

  3. ममता बनर्जी पर ‘दीदी : अ पॉलिटिकल बायोग्राफी’ किताब लिखने वाली वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका मोनोबिना गुप्ता कहती हैं कि ममता एक पेचीदा और निर्भीक कैरेक्टर हैं। वर्ष 2014 के बाद उनके तेवर में थोड़ा बदलाव आया है। वे राजनीतिक रूप से अधिक परिपक्व हुई हैं और आक्रामक रवैया थोड़ा बदला है। वे कहती हैं कि 2019 चुनाव के बाद ममता बनर्जी आदर्श प्रधानमंत्री उम्मीदवार होंगी ऐसा नहीं है लेकिन मजबूत उम्मीदवार अवश्य होंगी। मोनोबिना कहती हैं कि अभी ममता राष्ट्रीय राजनीति के लिए बहुत आक्रामक भूमिका निभा रही हैं लेकिन, चुनाव में अगर भाजपा अच्छा करती है तो फिर उन्हें 2021 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य में रुकना पड़ सकता है, क्योंकि पार्टी में सेकंड लाइन लीडरशिप की कमी है।

  4. रबींद्र भारती विश्वविद्यालय में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक डॉ. बिश्वनाथ चक्रबर्ती कहते हैं कि चुनौती और दुश्वारियों को कैसे अपने पक्ष में किया जाता है यह ममता से बेहतर कोई नहीं जानता है। इस बात को खुद ममता बनर्जी भी स्वीकारती हैं। शुक्रवार को कोलकाता के ईको पार्क में प्रेस काॅन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि – मेरे साथ पंगा लेने पर मैं चंगा हो जाती हूं। मैं 23 सालों तक सांसद रही हूं, मैं इस देश को जानती हूं। मुझे कोई डरा नहीं सकता, क्योंकि मैं आंदोलन के मार्फत यहां तक पहुंची हूं।

  5. हिंदुस्तान की राजनीति में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने का रास्ता उत्तरप्रदेश से होकर जाता है। अब पहली बार पश्चिम बंगाल से भी चुनौती मिल रही है। रोचक ये है कि उत्तर प्रदेश और बंगाल दोनों जगहों से तीन महिलाएं लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दे रही हैं। दीदी 2014 में प. बंगाल की 42 में से जीती 34 सीटों के आंकड़े को हर हाल में बढ़ाना ही चाहती हैं। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी लगातार जमीन तलाशने की कोशिश कर रही हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 80 में से केवल दो सीट मिली थी,जबकि बसपा का खाता भी नहीं खुला था।

  6. प. बंगाल की बात करें तो प्रधानमंत्री मोदी ने बीते सात दिन में राज्य में तीन रैलियां की हैं। भाजपा भले ही राज्य की 23 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही हो लेकिन दीदी अपने आंकड़े को हर हाल में बढ़ाना ही चाहती हैं। इसके लिए वे लोगों को राज्य के विकास में हमेशा लगे रहना, केंद्र के कथित अन्याय और राज्य में भाजपा व देश में मोदी से हमेशा लोहा लेते दिखाई देती रहती हैं। वे चाहती हैं कि चुनाव तक केंद्र सरकार के खिलाफ धरने का माहौल बना रहे। वे विकास संबंधी प्रोजेक्ट्स को भी जल्द पूरा कराने पर जोर दे रही हैंं।

    1. Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


      Mamta’s Hindi, Maya’s emphasis on tweet , Priyanka’s worm spell

      [ad_2]
      Source link

Translate »