शिलॉन्ग.शारदा चिटफंड घोटाले में आज दूसरे दिन भी कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ होगी। सीबीआई ने तृणमूल सांसद कुणाल घोष को भी शिलॉन्ग दफ्तर तलब किया है। इससे पहले शनिवार को राजीव कुमार से सीबीआई के अफसरों ने करीब आठ घंटे पूछताछ की थी। कुमार पर घोटाले की जांच के लिए बनी एसआईटी के प्रमुख रहते हुए सबूत नष्ट करने के आरोप हैं।
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, शनिवार को राजीव कुमार समेत बंगाल पुलिस के तीन अधिकारियों से शनिवार सुबह 11 से रात 7.30 बजे तक घोटाले से जुड़ी जानकारी जुटाई गई। उनसे क्या सवाल-जवाब हुए सीबीआई ने अभी इसका खुलासा नहीं किया है।
सीबीआई टीम को पूछताछ से रोका गया था
सीबीआई टीम पूछताछ के लिए 3 फरवरी को राजीव कुमार के घर पहुंची थी, लेकिन उसे अंदर नहीं जाने दिया गया। उलटा सीबीआई अफसरों को ही पुलिस जबरन थाने ले गई। इस दौरान ममता ने सीबीआई की कार्रवाई के विरोध में धरना शुरू कर दिया था। इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार को सीबीआई के सामने पेश होने और ईमानदारी से जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था। हालांकि, कोर्ट ने साफ कर दिया था कि कुमार को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
पूछताछ से पहले नागेश्वर राव के ठिकानों पर छापे
राजीव कुमार से शिलॉन्ग मेंपूछताछ से पहले शुक्रवार को कोलकाता पुलिस ने बेहिसाब संपत्ति के मामले में सीबीआई के पूर्व अंतरिम चीफ नागेश्वर राव के ठिकानों पर छापे मारे। पुलिस ने जिन दो जगहों पर छापे मारे, उनमें से एक कोलकाता में है और दूसरी साल्ट लेक स्थित एंजेला मर्केंटाइल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का दफ्तर है। यह कंपनी राव की पत्नी की बताई जा रही है। हालांकि, राव ने कहा कि ये कार्रवाई प्रोपेगेंडा के तहत की गई। कंपनी से मेरा कोई संबंध नहीं है। यह कंपनी उनके एक पारिवारिक मित्र की है।
घोटाले की जांच के लिए बनी एसआईटी के प्रमुख थे कुमार
शारदा घोटाले की जांच के लिए 2013 में एसआईटी बनाई गई थी। इसका नेतृत्व 1989 बैच के आईपीएस राजीव कुमार कर रहे थे। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया था। इसके बाद राजीव कुमार को जनवरी 2016 में कोलकाता पुलिस का मुखिया बनाया गया था।
2460 करोड़ का शारदा चिटफंड घोटाला
शारदा ग्रुप से जुड़े पश्चिम बंगाल के कथित चिटफंड घोटाले के 2,460 करोड़ रुपए तक का होने का अनुमान है। पश्चिम बंगाल पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 80 फीसदी जमाकर्ताओं के पैसे का भुगतान किया जाना बाकी है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, शारदा ग्रुप की चार कंपनियों का इस्तेमाल तीन स्कीमों के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया। ये तीन स्कीम थीं- फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और मंथली इनकम डिपॉजिट।
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