नई दिल्ली. ट्विटर के सीईओ और अन्य उच्च अफसरों ने सोशल मीडिया पर नागरिक अधिकार मामले में संसदीय समिति के सामने पेश होने से इनकार कर दिया। समिति ने ट्विटर के अधिकारियों को 1 फरवरी को समन जारी कर 11 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था। इसके जवाब में ट्विटर ने कहा कि कम समय का नोटिस मिलने के चलते समिति के सामने पेश होना संभव नहीं और भारत में कंपनी का कोई सक्षम अधिकारी नहीं है।
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भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने ट्विटर के अफसरों को 7 फरवरी को पेश होने को कहा था, बाद में इसे बढ़ाकर 11 फरवरी कर दिया था। इस संसदीय समिति में 31 सदस्य हैं।
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समिति के नोटिस के जवाब में ट्विटर इंडिया ने कहा कि भारत में कंपनी के पास कोई अधिकारी नहीं है जो इस संबंध में जरूरी प्रावधानों को लागू कर सके। भारत में नियुक्त अधिकारी इस संबंध में नीतिगत निर्णय लेने में सक्षम नहीं है।
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नागरिक अधिकारों के मामलों में ट्विटर को अमेरिका, सिंगापुर और यूरोपीय संघ में तलब किया जा चुका है। इस मामले में अनुराग ठाकुर ने कहा- हम ट्विटर के जवाब को गंभीरता से ले रहे हैं, इस पर आगे क्या कार्रवाई होगी, इसपर फैसला सोमवार को लिया जाएगा।
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संसदीय समिति के समक्ष पेश होने पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस संबंध में राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष निर्णय लेंगे। सरकार इस मामले में फैसला नहीं कर सकती।
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पिछले दिनों यूथ फॉर सोशल मीडिया डेमोक्रेसी के सदस्यों ने ट्विटर के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। संगठन का आरोप था कि ट्विटर दक्षिणपंथ विरोधी रुख अपनाया है। संगठन ने इस मामले में अनुराग ठाकुर को भी पत्र लिखा था।
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