नई दिल्ली. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। बैंकों पर कर्ज बढ़ाने का दबाव है। लेकिन ज्यादा कर्ज देने के लिए बैंकों को भी ज्यादा रकम की जरूरत है। लोगों को लंबी अवधि के डिपॉजिट के प्रति आकर्षित करने के लिए बैंकों को जमा पर ब्याज बढ़ाना पड़ेगा। क्रिसिल ने यह तो नहीं कहा कि ब्याज दरें कितनी बढ़ेंगी, लेकिन दूसरे विशेषज्ञों के अनुसार इसमें 0.5% तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
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क्रिसिल का अनुमान है कि बैंकों को मार्च 2020 तक 25 लाख करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। इसमें से 19-20 लाख रुपए डिपॉजिट से जुटाने पड़ेंगे। बाकी 5-6 लाख करोड़ रुपए एसएलआर कम होने से मिल जाएंगे। बैंकों को कुल जमा राशि का एक हिस्सा सरकारी बॉन्ड और सोने में निवेश करना पड़ता है, जिसे एसएलआर कहते हैं।
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रिजर्व बैंक ने मार्च 2020 तक एसएलआर को 18% पर लाने की बात कही है। अभी यह 19.25% है। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एफडी पर ब्याज दरों में कमी आने से पिछले कुछ वर्षों में लोगों का इसके प्रति रुझान कम हुआ है।
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अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स की तुलना में एफडी में कम ग्रोथ देखने को मिली है। एसएलआर के बारे में क्रिसिल का मानना है कि बैंकों ने अभी 19.5% की तय सीमा से 8% ज्यादा रकम इसमें निवेश कर रखा है। आगे वे इसे घटाकर 4% पर ला सकते हैं।
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हाल के वर्षों में बैंकों में औसतन 7 लाख करोड़ रुपए जमा होते रहे हैं। बैंकों को इस साल तीन गुना ज्यादा जमा की जरूरत होगी। इसके लिए जरूरी होगा कि बैंक एफडी पर ब्याज में इजाफा करें।
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डिपॉजिट की होड़ में मजबूत निजी बैंक आगे रहेंगे। नई जमा का 60% हिस्सा इन्हें मिलेगा। अभी जमा का 30% हिस्सा निजी बैंकों में ही है। पिछले 5 वर्षों में निजी बैंकों का डिपॉजिट 7% की दर से बढ़ा है।
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बैंक एफडी पर ब्याज
एसबीआई 6.80% बैंक ऑफ बड़ौदा 6.80% एक्सिस बैंक 7.30% यस बैंक 7.25% (ब्याज 1-2 साल की अवधि के लिए)
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शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए संभावना है कि लोग घरेलू बचत को बैंक एफडी में लगाएंगे। पिछले कुछ महीनों में डिपॉजिट पर ब्याज की दरें 0.40% से 0.60% तक बढ़ चुकी हैं।
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