जोधपुर (रविंद्र शर्मा).अब किसानों की सब्जियां कटाई या छंगाई के बाद बारिश, आंधी-तूफान या धूल की भेंट नहीं चढ़ेगी। इसके लिए जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय ने दो तरह की टनल बनाई हैं, जिसमें सब्जियों को सुखाने के साथ पक्षियों से भी बचाया जा सकेगा। पहली वॉक टनल और दूसरी लॉ टनल होगी। लॉ टनल केवल मिर्ची को सुखाने के काम आएगी। दोनों की साइज 50 स्क्वायर मीटर होगी।
इन टनल की खासियत यह होगी कि इसमें तापमान बाहरी तापमान से 10 से 15 डिग्री ज्यादा होगा। यानी बाहर अगर तापमान 30 डिग्री है तो इसमें बढ़कर 40 से 45 डिग्री तक हो जाएगा। इससे सब्जियों को कम समय में सुखाया जा सकेगा। कृषि विवि ने फिलहाल प्रयोग के लिए वॉक के 44 व लॉ टनल के 6 सैंपल बालरवा में किसानों को दिए हैं। वॉक टनल की लागत 19,500 रुपए और लॉ टनल की 15 हजार रुपए आएगी। कृषि विवि इन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देगी।
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इन्हें बनाने वाले कृषि विवि के कुलपति प्रो. बलराज सिंह ने बताया कि इन्हें पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर लगाते है, ताकि हवा के साथ सब्जियों को पर्याप्त धूप मिले। इन पर लगा सफेद प्लास्टिक सूरज की किरणों को सब्जियों पर सीधे नहीं पड़ने देता। अंदर आने वाली धूप जमीन पर बिछे काले प्लास्टिक पर पड़ने से तापमान बढ़ता है। इससे तीन दिन में सूखने वाली सब्जी डेढ़ दिन में सूख जाएगी।
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- आलू, प्याज, लहसुन को इनमें रखकर बारिश से बचाया जा सकेगा।
- मैथी व पुदीना सहित अन्य सब्जियों व गुलाब के पुष्प की सुगंध बरकरार रखेगी।
- इसमें सुखाई जाने वाली सब्जी का एक प्रतिशत भाग मिलेगा। यानी दस किलो सुखाएंगे तो वह सूखकर एक किलो मिलेगी, जबकि खुले में सुखाने पर किसानों को यह आधा से पौन किलो ही मिलती है।
- करीब चार से पांच साल तक यह टनल आसानी से चलती है।
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- भारत में करीब 101 लाख हैक्टेयर में 181 मिलियन मैट्रिक टन सब्जी उत्पादन होता है।
- करीब 45 मिलियन मैट्रिक टन सब्जी रखरखाव के अभाव में खराब हो जाती है, यानी करीब 12 से 15 करोड़ लोग खाए जितनी सब्जी रोज खराब हो जाती है।
- वर्तमान में कुल बागवानी का उत्पादन लगभग 315 मिलियन टन हो चुका है। जो खाद्यान्नों के कुल उत्पादन 285 मिलियन टन से लगभग 10 प्रतिशत ज्यादा है।