नई दिल्ली. सीबीआई से हटाए गए पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा को सरकारी आदेश का पालन ना करने पर विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि कार्रवाई के तहत वर्मा को मिलने वाले पेंशन के लाभ को निलंबित किया जा सकता है।
आलोक वर्मा को सीवीसी की रिपोर्ट पर 23 अक्टूबर 2018 को छुट्टी पर भेज दिया गया था। हालांकि, इसी साल 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा की बहाली के आदेश दिए थे। लेकिन, इस आदेश के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने वर्मा को सीबीआई से हटा दिया था। उन्हें फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स का डीजी बनाया गया था। वर्मा ने इस पद को स्वीकार करने से इनकार करते हुए इस्तीफा दे दिया था।
मंत्रालय ने दिए वर्मा को नया पद संभालने के निर्देश
गृह मंत्रालय ने गुरुवार को वर्मा को नई नियुक्ति संभालने का निर्देश दिया था। अधिकारी ने कहा कि वर्मा ने निर्देशों के अनुसार नया पदभार नहीं ग्रहण किया। उन पर विभागीय कार्रवाई की जा सकती है। निर्देशों का पालन ना करना भारतीय सेवा के अधिकारियों के सर्विस रूल का उल्लंघन है। ऐसे में वर्मा को पेंशन के लाभ से वंचित किया जा सकता है।
मंत्रालय ने वर्मा को खत भी लिखा था
बुधवार को भी गृह मंत्रालय ने वर्मा को एक पत्र भेजा था। इस खत में लिखा गया था कि आपको फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स के डीजी का पदभार तुरंत ग्रहण करने के निर्देश दिए जाते हैं। यह खत वर्मा की कार्मिक मंत्रालय के सचिव से की गई अपील को खारिज किए जाने के तौर पर देखा जा रहा है।
उसी दिन से रिटायर मानें, जब सीबीआई से हटाया- वर्मा
वर्मा ने अपने खत में लिखा था- मुझे 31 जुलाई 2017 को ही सेवाओं से निवृत्त माना जाना चाहिए, इस दिन मैंने अपने 60 साल पूरे कर लिए। मैं नई नियुक्ति के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र को पार कर चुका हूं। ऐसे में मुझे उसी दिन से सेवानिवृत्त माना चाहिए, जिस दिन से मुझे सीबीआई से बाहर किया गया। मैं सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर 31 जनवरी 2019 तक केवल इसलिए सेवाएं दे रहा था, क्योंकि इसमें कार्यकाल तय होता है। सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल 2 साल का होता है।
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