हेल्थ डेस्क. अमरीकी पत्रिका साइंटिफिक अमेरिकन ने प्राणयाम की तरह किए जाने वाले योगिक व्यायाम को कार्डियक कोहेरेंस ब्रीदिंग का नाम दिया है। मैग्जीन के ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में इसे धड़कनों को स्थिर और मन को शांत रखने वाला बताया गया है। पोस्ट से एक बात साफ है कि मैग्जीन कार्डियक कोहेरेंस ब्रीदिंग के बहाने प्राणायाम की बात कर रही है। मैग्जीन की पोस्ट से विवाद की शुरूआत हुई है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर समेत कई भारतीय यूजर ने भी इसका विरोध किया है। आईआईटीयन संक्रांत सानू ने मैग्जीन को ट्वीट करते हुए लिखा, हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति से ज्ञान चुराकर इसे नया नाम देना और इस पर अपना दावा करना, फिर हमारी परंपराओं को अंधविश्वास कहकर उन पर हमला बोलना पश्चिम का इतिहास रहा है।
1. Steal knowledge from ancient cultures and native traditions
2. Rename it and erase origins
3. Claim it as your invention, attack native traditions as “superstition.”History of the West. These techniques come from yoga, developed over millennia of research in India.
— Sankrant Sanu सानु (@sankrant) January 28, 2019
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मैग्जीन ने प्रॉपर ब्रीदिंग ब्रिंग्स बेटर हेल्थ में कार्डियक कोहेरेंस ब्रीदिंग के बारे में बताया है, जिसमें सांस लेने जैसी कई तकनीकों पर ध्यान दिया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे इस एक्सरसाइज से अनिद्रा और मन को शांत रखा जा सकता है, नियमित करते रहने से कैसे रक्तचाप को नियंत्रित किया सकता है।
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी लिखा, 2500 साल पुरानी प्राणायाम की भारतीय तकनीक के फायदों का विस्तार से वर्णन, 21वीं सदी की वैज्ञानिक भाषा में कार्डियक कोहरेंस ब्रीथिंग! पश्चिमी देशों को अभी कुछ सदियां लग जाएंगी ये सब सीखने में जो हमारे पूर्वज एक जमाने पहले सिखाकर गए हैं। लेकिन, आपका स्वागत है”। थरूर के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर इसे शेयर करते ही भारतीयों ने मैग्ज़ीन की काफी आलोचना की।
Detailed description of the benefits of the 2500-year-old Indian technique of pranayama, dressed up in 21st c. scientific language as “cardiac coherence breathing”! It’s taking the West a few millennia to learn what our ancients taught us millennia ago, but hey, you’re welcome… https://t.co/LLltRZ3pP5
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 29, 2019
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पोस्ट अपलोड होते ही भारतीय यूजर ने मैग्जीन की काफी आलोचना की और प्राणायाम का अर्थ बताते हुए इसके नामकरण का विरोध किया। हिंदू अमरीकन नाम के पेज ने ट्वीट किया कि ये कार्डियक कोहेरेंस ब्रीदिंग नहीं बल्कि प्राणायाम है और भारत में ये लम्बे समय से है। हिंदुओं के आइडिया चुराकर उसका नाम बदलना छोड़ो। एक अन्य यूजर तनवी नरुला लिखती हैं कि हां, इसे प्रणायाम कहते हैं, ये योगा का हिस्सा है। इसे हथियाने से पहले एक बार इसके बारे में जान लेते।
Huh? It’s not “cardiac coherence breathing.” It’s called Pranayama and it’s been around for a long time in India. Quit stealing Hindu ideas and then renaming them.
— Hindu Americans (@HinduAmericans) January 27, 2019
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सोशल मीडिया पर प्राणायाम को लेकर शुरू हुई बहस जीरोतक पहुंच गई। एक विदेशी यूजर ने लिखा जीरो का पहली बार इस्तेमाल मैसोपोटामिया में हुआ था तो दूसरे यूजर ने प्राणायाम को आधुनिक नाम देने की वकालत की। वहीं एक भारतीय यूजर ने मैग्जीन को टैग कर विरोध जताते हुए लिखा, प्राणायाम का आधुनिक नामकार्डियक कोहेरेंस ब्रीदिंग और योग निद्रा को बदलकर ल्यूसिड ड्रीमिंग कर दिया है।
Ancient Indian Name – Pranayam
Modern Scientific Name – Cardiac Coherence Breathing?Ancient Indian Name – Yoga Nidra
Modern Scientific Name – Lucid-Dreaming?— Rohit Kumar Jha (@blackholesmerge) January 27, 2019