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नीरज साहित्य की एक लंबी यात्रा के पथिक रहे. गीत, कविता, दोहे और शेर, उनकी कलम हर जगह चली. वे हर विधा में अपने समय को दर्ज करते और जीवन को गुनते रहे. मृत्यु का विराट यथार्थ उनके सृजन के भीतर तैरता रहा.
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