संजय द्विवेदी
अनपरा-सोनभद्र। शक्तिनगर थाना में पदस्थ एक प्राइवेट कारखास (निजी सहायक) इन दिनों चर्चाओं में है। उसकी सक्रियता और हस्तक्षेप की सीमा इतनी अधिक है कि आम जनता से लेकर थाने के स्टाफ तक, सभी उसकी ‘हनक’ को महसूस कर रहे हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, उक्त कारखास का प्रभाव क्षेत्र में इस कदर फैल चुका है कि वह स्वयं को थाना प्रभारी से भी अधिक प्रभावशाली मानता है। थाने के अंदरूनी मामलों में उसकी दखलअंदाजी, आगंतुकों से बातचीत का तरीका, और व्यवहार में अकड़ से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
जनता में यह धारणा बनती जा रही है कि कानून व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए थाना परिसर में गैर-सरकारी व्यक्तियों की सीमित भूमिका ही होनी चाहिए। कारखास जैसे व्यक्तियों की बेलगाम गतिविधियाँ पुलिस व्यवस्था की छवि को प्रभावित कर सकती हैं। इस विषय पर प्रशासन और उच्च अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराना आवश्यक हो गया है, ताकि पुलिस व्यवस्था को स्वच्छ, जवाबदेह और जनता के अनुकूल बनाया जा सके।
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