रवि कुमार सिंह
दुद्धी-सोनभद्र। स्थानीय जीआईसी खेल मैदान में रविवार को शिव शिष्य परिवार द्वारा आयोजित भव्य शिव गुरु महोत्सव में हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को महेश्वर शिव के गुरु स्वरूप से जोड़ना है।मुख्य वक्ता दीदी बरखा आनंद ने शिव शिष्य साहब श्री हरिंद्रानंद जी का संदेश साझा किया। उन्होंने कहा कि शिव सिर्फ नाम के नहीं,

बल्कि कर्म के भी गुरु हैं। जब औघड़ दानी स्वरूप में शिव से धन और संपदा मिलती है, तो उनसे ज्ञान क्यों न लिया जाए।
दीदी बरखा आनंद ने बताया कि शिव जगतगुरु हैं। कोई भी व्यक्ति, बिना किसी धर्म या जाति के भेदभाव के उन्हें गुरु मान सकता है। शिव का शिष्य बनने के लिए किसी औपचारिक दीक्षा की आवश्यकता नहीं है। केवल यह मानना कि ‘शिव मेरे गुरु हैं’

ही पर्याप्त है। श्री हरिंद्रानंद जी ने 1974 में शिव को अपना गुरु माना। 1980 तक यह विचार पूरे देश में फैल गया। शिव का शिष्य बनने के लिए तीन सरल सूत्र हैं। पहला, मन में शिव को गुरु स्वीकार करें। दूसरा, अन्य लोगों को भी शिव की गुरु रूप में महिमा बताएं। तीसरा, शिव को मन से प्रणाम करें या ‘नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।महोत्सव में सीमावर्ती क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। कैलाश नाथ गुप्ता, सीताराम, रामानुज दुबे, सूर्यनारायण, भोला सोनी, बसंती सिंह और पूनम गुप्ता सहित कई गणमान्य लोग कार्यक्रम में मौजूद रहे।
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