सरसो के पीले फुल और हरियाली से रंगी धरती मोह रही सबका मन
सर्वेश श्रीवास्तव/ज्ञानदास कन्नौजिया
सोनभद्र। बसंत की मादकता का रंग अब फागुनी माहौल में घुलने लगा है। मौसम परिवर्तन के साथ ही हल्की गुलाबी जाडे़ की वजह से माहौल फागुनी माहौल में सराबोर दिख रहा है। फाल्गून मास भी शुरू हो गया है। पतझड़ के चलते झाड़-झंखाड़ में तब्दील हो चुके पेड़-पौधों में फुटती नई-नई कपोलें प्रकृति के रूप मेेें निखार ला रही है। लालिमायुक्त यह कपोले सभी को आकर्षित कर रही है। इन दिनों धरती का रंग पूरी तरह निखरा हुआ है। खेतों में दूर-दूर तक फैले सरसों के पीले फूल तथा हरियाली सभी का मन मोह ले रही है। प्रकृति ने एक से एक सच्चे रंग भर कर अद्भूत रचनाएं बनाई है। चहुंओर उन्माद और उल्लास का रंग बिखर गया है। किसानों का दिल सरसो की पीली डालियां देख मोर के मानिंद नाच रहा है। फूलों का रस लेने के लिए तितलियां उनके इर्द-गिर्द मंडरा रही हैं। मटर-मसूर आदि फसलों के फूल भी प्रकृति को बहुरंगी बना दिया है। फूलों से उठती तरह-तरह की सुगंध से माहौल में मादकता का रंग घुलने लगा है। आम के वृक्षों पर बौर की ताजी कोपलें सुहावने मौसम का परिचय दे रही हैं। फागूनी बयार प्रारम्भ होने के साथ ही होली के गीत भी सुनाई देने लगे हैं। युवाओं की हंसी से रूमानियत भरी मस्ती का माहौल बन गया है। युवाओं का अल्हड़ मन कुछ बहका-बहका सा नजर आने लगा है। अभी तक जहां होलिका नहीं गड़ी हैं वहां के उत्साही युवा इसे गाड़ने शुरू कर दिये हैं। कुल मिलाकर इन दिनों यह मौसम सोनांचल की हसीन वादियों में चार चॉंद लगा दिया है। इस सम्बन्ध में थोक कपड़ा व्यवसायी रोशन अग्रवाल, शुभम अग्रवाल तथा स्नातक के विद्यार्थी दीपक मौर्य, रितेश कुमार कनौजिया, आरती आदि का कहना है कि इस समय मौसम एकदम निखरा हुआ है। सिवान में जाने पर मन खुश हो जा रहा है। गांव के एक छोर से दूसरे छोर तक हरा और पीला रंग दिखाई दे रहा है। मानो धरती बहुरंगी चांदर ओढ़ी हुई है।
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