राम कथा को अमरत्व प्रदान करने वाले महर्षि वाल्मीकि डॉ सुधाकर।

जयंती पर ऋषि सम्मान से डॉ अनुज प्रताप किए गए सम्मानित


सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। राष्ट्रीय संचेतना समिति सोनभद्र की ओर से गुरुवार को नगर पालिका परिषद के निराला सभागार में महर्षि वाल्मीकि जयंती पर ‘ रामायण की प्रासंगिकता ‘ विषय पर विद्वानों के विचार सावन की बरसात की भांति गरज चमक के साथ बरस रहे थे। वक्ताओं ने कहा अपने पुरुषार्थ एवं साधना से ज्ञान, वैराग्य और अध्यात्म के अप्रतिम ऊंचाई को प्राप्त करने वाले, संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए अपनी सशक्त लेखनी से राम कथा को

अमरत्व प्रदान करने वाले महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण के प्रसंग सदैव प्रासंगिक रहेंगे। राम भरत की कालजई मृत्युंजई संस्कृति के प्राण हैं। श्रीराम परात्पर ब्रह्म है श्रीराम के काल में प्रत्यक्ष अनुभव से वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की।
डॉ अनुज प्रताप सिंह को राष्ट्रीय संचेतना समिति के अध्यक्ष रमेश देव पाण्डेय , संयोजक जगदीश पंथी ने ‘ऋषि सम्मान 2024 ‘ प्रदान करते हुए उन्हें रामायण , यथार्थ गीता की

प्रति, अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र आदि भेंट किए। गोष्ठी को मुख्य अतिथि डॉ सुधाकर मिश्र, पूर्व प्राचार्य राजकीय पीजी कालेज ओबरा, वरिष्ठ साहित्यकार पारसनाथ मिश्र, राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित डॉ ओमप्रकाश त्रिपाठी ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार और मधुरिमा संगोष्ठी के निदेशक आकाश बंद है कविता संग्रह के रचनाकार अजय शेखर और संचालन पत्रकार प्राध्यापक
भोलानाथ मिश्र ने किया। सर्व प्रथम मां सरस्वती और

महर्षि वाल्मीकि के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर वैदिक मंत्रोचार के बीच माल्यार्पण किया गया। स्वागत भाषण करते हुए आयोजक जगदीश पंथी ने गोष्ठी का विषय प्रवर्तन किया। वाणी वंदना जाने माने कवि दिवाकर द्विवेदी मेघ विजयगढ़ी ने किया। इस आयोजन में सोन साहित्य संगम के संयोजक कवि अधिवक्ता राकेश शरण मिश्र, कवि प्रदुम्न कुमार त्रिपाठी, कवि प्रभात सिंह चंदेल, दीपक केशवानी समेत नगर और जनपद तथा पड़ोसी जिलों के साहित्यकार , पत्रकार और कवि सहभागी बने द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी वीर शाम तक चलती रही।

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