सांस्कृतिक कार्यक्रम हमारी परंपरा और संस्कृति को जीवित रखते हैं, बल्कि व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होते हैं- आरपी सिंह

रेनुसागर में लोग नवरात्र के जश्न में डूबे हुए हैं।

नौ दिन के इस पर्व में गरबा-डांडिया का काफी महत्व है।

अनपरा-सोनभद्र। दिशिता महिला मंडल रेनुसागर द्वारा हिण्डालको रेनुसागर के आवासीय परिसर में स्थित प्रेक्षागृह के प्रांगण में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि आर पी सिंह ने अपने सम्बोधन में कि कहा सांस्कृतिक कार्यक्रम न केवल हमारी परंपरा और संस्कृति को जीवित रखते हैं, बल्कि व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होते हैं।इस दिशा में दिशिता महिला मंडल की महिलाओं ने हमारी परंपरा और संस्कृति को जीवंत कर रखा है।उसकी जीतनी प्रसंशा किया जाय वह कम है।कार्यक्रम का शुभारम्भ गणेश वन्दना प्रस्तुत कर

किया गया। तत्पश्चात दिशिता महिला मंडल द्वारा मनोहारी डांडिया प्रस्तुत कर देर संध्या को यादगार बना दिया। नया नव दिन पुराना सौ दिन के कहावत को चरितार्थ करते हुये दिशिता महिला मण्डल की सदस्याओं द्वारा नवस्वरूप नवप्रेरणा देबी के समक्ष गरबा व डांडिया नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा के सम्मान में आराधना करते देवी गीत पर थिरकते हुये शानदार प्रस्तुति नें दर्शक दीर्घा में बैठे श्रद्धालूओं को भावविभोर कर दिया।इतना ही नही शानदार कार्यक्रम में प्रेक्षाग्रह में सजी देवी माँ के मनोहारी प्रतिमा के प्रांगड में

दिशिता महिला मण्डल की सदस्याओं ने वर ने बोल मारी अंबे, गलगोटो -गलगोटो जैसे प्रसिद्ध गानों पर गरबा एवं डांडिया के अदभुत नृत्य में आकर्षक संगीत व लय के साथ एक जटिल नृत्य अपने पैरों की कला तथा डांडिया की चाल के साथ प्रस्तुत कर दर्शक दीर्घा में बैठे हजारों लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।वही बच्चों द्वारा बेहतरीन नृत्य की प्रस्तुति कर लोगों को मन्त्र मुग्ध कर दिया।बंगाली समुदाय के लोगों ने भक्ति गीत पर नृत्य प्रस्तुत कर वाह वाही लूटी।गैरतलब है कि हिन्डाल्को रेनुसागर इस समय नवरात्र के जश्न में डूबा हुआ है। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना भाव विभोर हैं। साथ ही शक्ति के इन स्वरूपों का उत्सव भी मनाते हैं। दिशिता महिला मंडल की अध्यक्षा इंदु सिंह ने बताया कि दुर्गा पूजा उत्सव से जुड़ी एक और कड़ी है, जो लोगों के मन को उत्साह और उमंग से भर देती है। शारदीय नवरात्र का नाम सुनते ही सबसे पहले मन में गरबा और डांडिया का ख्याल आता है।नवरात्र और गरबा-डांडिया का एक-दूसरे से गहरा रिश्ता है। हम में से कई लोगों को गरबा काफी पसंद होता है, लेकिन बेहद कम लोग ही इसके इतिहास के बारे में जानते हैं। डांडिया एवं गरबा भक्ति नृत्य है जो देवी ओर पराक्रमी राक्षस राजा महिषासुरके बीच एक नकली लड़ाई का प्रतीक का मंचन है।कार्यक्रम का सफल संचालन कविता श्रीमाली एवं पूनम तिवारी ने की।धन्यबाद ज्ञापित ललित खुराना की।इस अवसर पर हिण्डालको रेणुकूट से जेपी नायक ,जयेश पवार, एच आर हेड शैलेश विक्रम सिंह ,ऑपरेशन हेड मनीष जैन,अनपरा नगर पंचायत चेयरमैन विश्राम प्रसाद बैसवार, संजय श्रीमाली,कविता श्रीमाली , मनु अरोरा , मेनका अरोरा समित मण्डल सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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