विश्वकर्मा पूजा पर हुई काब्य संध्या गोष्ठी

दिवाकर द्विवेदी को किया गया सम्मानित

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। विश्वकर्मा पूजा के दिन मंगलवार दोपहर दिवाकर द्विवेदी मेघ जन्म दिवसोत्सव के उपलक्ष्य में नगर स्थित उनके आवास पर सरस काव्य संध्या का आयोजन किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामनाथ शिवेंद्र व मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश त्रिपाठी रहे। वाग्देवी सरस्वती को दीप जला एवं माल्यार्पण कर वाणी वंदना करते हुए संयोजक दिवाकर द्विवेदी मेघ ने मां शारदे वरदान दो तव स्मरण करते रहें, तेरे चरण की वंदना हम सब सदा करते रहें सुनाकर शुभारंभ किया। संचालन कर रहे शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी के निदेशक प्रदुम्न

त्रिपाठी एडवोकेट ने सरहद के पहरेदारों को यह मेरा पैगाम जाये। देश खड़ा है साथ आपके ए मेरा पैगाम जाये। सुनाकर वीर रस का संचार किये। प्रभात सिंह चंदेल ने कर सौम्यता सरलता को स्वयं में समाहित लिखती है हिंदी प्रभुताई प्रभु राम की, हिंदी पर रचना सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर विबस कर दिया। दयानंद दयालू ने लोकभाषा भोजपुरी में विश्वकर्मा बाबा पूजीला चरनियां तोहार और पलक झपकत में दुनिया बना देले सुनाया और सराहे गये। ओज की सशक्त कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने राष्ट्रवाद की बात करते हुए, पुष्प बनकर मैं खुश्बू लुटाती रहूं कांटे दामन में अपने छिपाती रहूं शारदे शक्ति दे जागरण नित करूं राष्ट्र हित मे सदा गीत गाती रहूं सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। धर्मेश चौहान एड ने समरसता एकता अखंडता सदभावना की बात कर देश को नमन किया लहरे तिरंगा सदा आसमान में, सुना देश को प्रणाम किया। हास्य-व्यंग्य कविताएं जयराम सोनी ने सुनाया नहीं मंजिल कोई जो खुद से पास आती है सुनाया। दिवाकर द्विवेदी ने बीए पढै लागल बा बेटौवा सुनाया और खूब हंसाया। शायर जुल्फेकार हैदर खां ने अपनी शायरी, किसी से जीवन में उतना ही फासला रखना सामना, होने पर मिलने का हौसला रखनाइस अवसर पर मेघ का सारस्वत अभिनंदन किया गया। सुनाकर गंभीर शायरी दिया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश त्रिपाठी ने, ढूंढ रहे हम अपना प्यारा हिंदुस्तान सुनाया और आशीर्वाद जन्म दिन पर मेघ को दिये। अध्यक्षता करते हुए हिंदी साहित्य पत्रिका असुविधा के संपादक कथाकार रामनाथ शिवेंद्र ने सफल कविगोष्ठी व मेघ के जन्म दिवस की बधाई देते हुए अपनी रचना ,,सवाल जब धधकते है आग की तरह,,, फिर जबाबों में होते तहजीब नहीं सुनाकर आयोजन के समापन की घोषणा किए। इस अवसर पर रिषभ शिवमोचन फारुख अली हाशमी ठाकुर कुशवाहा शिखा मृत्युंजय दिलीप सिंह दीपक आदि रहे।सोनभद्र। शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र के तत्वावधान में विश्वकर्मा पूजा मंगलवार दोपहर दिवाकर द्विवेदी मेघ जन्म दिवसोत्सव के उपलक्ष्य में नगर स्थित उनके आवास पर सरस काव्य संध्या का आयोजन किया गया अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामनाथ शिवेंद्र व मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश त्रिपाठी सदस्य किशोर न्याय बोर्ड सोनभद्र रहे। वाग्देवी सरस्वती को दीप जलाकर माल्यार्पण पश्चात वाणी वंदना करते हुए संयोजक दिवाकर द्विवेदी मेघ ने,, मां शारदे वरदान दो तव स्मरण करते रहें, तेरे चरण की वंदना हम सब सदा करते रहें
सुनाकर विधिवत शुभारंभ किया , संचालन कर रहे शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र के निदेशक प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट ने सरहद के पहरेदारों को यह मेरा पैगाम जाये। देश खड़ा है साथ आपके ए मेरा पैगाम जाये। सुनाकर वीर रस का संचार किये।ओज के सशक्त हस्ताक्षर प्रभात सिंह चंदेल ने,, कर सौम्यता सरलता को स्वयं में समाहित लिखती है हिंदी प्रभुताई प्रभु राम की,,, हिंदी पर रचना सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर विबस कर दिया। दयानंद दयालू ने लोकभाषा भोजपुरी में विश्वकर्मा बाबा पूजीला चरनियां तोहार और पलक झपकत में दुनिया बना देले सुनाया और सराहे गये।ओज की सशक्त कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने राष्ट्रवाद की बात करते हुए, पुष्प बनकर मैं खुश्बू लुटाती रहूं कांटे दामन में अपने छिपाती रहूं शारदे शक्ति दे जागरण नित करूं राष्ट्र हित मे सदा गीत गाती रहूं सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। धर्मेश चौहान एड ने समरसता एकता अखंडता सदभावना की बात कर देश को नमन किया लहरे तिरंगा सदा आसमान में,,,,सुना देश को प्रणाम किया।हास्य-व्यंग्य कविताएं जयराम सोनी ने सुनाया नहीं मंजिल कोई जो खुद से पास आती है सुनाया। दिवाकर द्विवेदी ने बीए पढै लागल बा बेटौवा सुनाया और खूब हंसाया। शायर जुल्फेकार हैदर खां ने अपनी शायरी, किसी से जीवन में उतना ही फासला रखना सामना, होने पर मिलने का हौसला रखनाइस अवसर पर मेघ का सारस्वत अभिनंदन किया गया। सुनाकर गंभीर शायरी दिया।मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश त्रिपाठी ने, ढूंढ रहे हम अपना प्यारा हिंदुस्तान सुनाया और आशीर्वाद जन्म दिन पर मेघ को दिये। अध्यक्षता करते हुए हिंदी साहित्य पत्रिका असुविधा के संपादक कथाकार रामनाथ शिवेंद्र ने सफल कवि गोष्ठी व मेघ के जन्म दिवस की बधाई देते हुए अपनी रचना सवाल जब धधकते है आग की तरह, फिर जबाबों में होते तहजीब नहीं सुनाकर आयोजन के समापन की घोषणा किए। इस अवसर पर रिषभ, शिवमोचन, फारुख अली, हाशमी, ठाकुर कुशवाहा, शिखा, मृत्युंजय, दिलीप सिंह, दीपक आदि रहे।

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