संजय द्विवेदी
अनपरा सोनभद्र l रेणुकूट वन प्रभाग के अनपरा रेंज स्थित बेलवादाह ग्राम पंचायत की पहाड़ी को काटकर साईं सूर्या कम्पनी द्वारा राख ट्रांसपोर्टिंग के लिए सड़क बनाने से नागरिकों मे भारी रोष व्याप्त है l बता दे कि 1200 मेगावाट की एमईआईएल कम्पनी द्वारा अनपरा तापीय परियोजना के ऐश बांध से राख ट्रांसपोर्टिंग का टेंडर साईं सूर्या कम्पनी को दिया गया है l साईं सूर्या कम्पनी वन विभाग के एनओसी लिये अनपरा तापीय परियोजना की मिलीभगत से पहाड़नुमा

पहाड़ी पोकलेन मशीन लगाकर जहाँ जमीदोज कर दिया वही पहाड़ के सीने को छलनी कर सैकड़ो ट्रक मोरम निकाल कर सड़क बना दिया गया है l यह सिलसिला लगभग एक महीने से लगातार जारी है वन विभाग से ग्रामीणों ने जब इसकी शिकायत की तो वन विभाग से की ने प्रथम दृष्टया अवैध खनन एवं रोड़ निर्माण पर कार्यवाही करते हुये सुरक्षा खाई खुदवाई।तत्पश्चात क्षेत्रीय वन अधिकारी, अनपरा रेंज ने नोटिस के माध्यम से मुख्य महाप्रबंधक, अनपरा तापीय परियोजना अनपरा, सोनभद्र को अवगत कराया कि बेलवादह एश ड्राई के निकट गाटा संख्या-77 में अवैध खनन कर रोड बनाने का कार्य किया गया है। बनक्षेत्राधिकारी आर एस शर्मा ने बताया कि बैरपान सं0-9 निरीक्षण करते हुए यह पाया गया कि अनपरा तापीय परियोजना हस्तांतरित की गयी वन भूमि के गाटा संख्या-77 (बेलवादह) में एश ड्राई के किनारे पहाड़ी को काटकर कच्चा रास्ता का अवैध रूप से निर्माण किया गया है। स्थानीय ग्रामवासियों से पूछताछ करने पर यह पाया गया कि मेघा कंपनी द्वारा एश ड्राई में राख उठाने हेतु साई सूर्या कंपनी यूनाइटेड को दिया गया है, जिसके द्वारा निजी सुगमता हेतु बिना किसी अनुमति के खनन कार्य कर रास्ता का निर्माण किया गया है। उक्त खनन कर रास्ता निर्माण हेतु आपके द्वारा साई सूर्या कंपनी (यूनाइटेड) कंपनी को अनुमति निर्गत की गई है, यदि हाँ तो क्या आपके द्वारा विभाग से अनुमति प्राप्त की गई है? यदि नहीं तो उक्त कंपनी के ऊपर कठोर वैधानिक कार्यवाही करते हुए अधोहस्ताक्षरी को अवगत कराने के कष्ट करें। आप अवगत है कि वन भूमि पर किसी भी प्रकार का गैर वानिकी कार्य (खनन) करना भारतीय वनअधिनियम 1927 की धारा-4 की उपधारा 5/26 का स्पष्ट उलंघन है। साथ ही अवगत कराना समीचीन है कि उक्त कंपनी द्वारा कराए गए कार्य से स्थानीय ग्रामवासियों में भारी रोष व्याप्त है व लगातार विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है। अतः व्यक्तिगत ध्यान आकृष्ट करते हुए प्रकरण की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए 3 दिन के भीतर अविलंब कृत कार्यवाही से इस कार्यालय को अवगत कराने का कष्ट करें।
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