ओबरा की खदानों पर एनजीटी सख्त, तलब की रिपोर्ट

पर्यावरण को संरक्षित किये बगैर जीवन की कल्पना नही की जा सकती

सोनभद्र। हैवी ब्लास्टिंग से घरों की दरकती दीवारों, शिक्षण संस्थाओंं पर मडराते खतरा और फराटिक लेवल की गहरी खदानों पर एनजीटी सख्त ऋतिशा गोड की याचिका पर मेसर्स राधे राधे समेत चार खदानों को नोटिस जारी की इसकी जानकारी याची के अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने दी। याची के अधिवक्ता उच्च न्यायालय और एन जी टी में जनमुद्दों पर लगातार आवाज उठाने वाले अभिषेक चौबे ने बताया कि 2019 के एक मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के आबादी से निश्चित दूरी के बाद ही ब्लास्टिंग करने की अनुमति देता है परंतु बिल्ली मारकुंडी में इसका खुला उल्लंघन हो रहा है खदानें इतनी गहरी है खदानें वाटर लेवल के नीचे तक पानी निकालकर खनन हो रहा है जिससे पूरा पर्यावरण का संतुलन ही बिगड़ जा रहा है पूरे मामले को साक्ष्य के साथ याची ऋतिशा की याचिका में मामले को उठाया गया है जिसे एन जी टी ने स्वीकार कर सभी पक्षों से जवाब तलब किया है। अगली सुनवाई 21 नवंबर को होनी है। मामले मे याची ऋतिशा ने बताया कि मिसर्स राधे-राधे इंटरप्राइजेज, मेसर्स कृष्णा माइनिग, साई बाबा स्टोन, कामख्या स्टोन की खदान पूर्ण रूप से मानक के विपरीत चल रही है और भूमिगत जल स्रोत से भी नीचे जाकर लगातार भारी मशीनों से पानी निकालकर निष्प्रयोजन बहाया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में वाटर लेवल नीचे हो जा रहा है एक दिन ऐसा होगा कि लोग पानी के लिए तरस जाएंगे। उन्होंने बताया कि खदानें आवासीय, सार्वजनिक स्थानों के बेहद नजदीक है जिसमें हैवी ब्लास्टिंग किया जा रहा है घरों के दीवारें टूट रही हैं। आईटीआई, डिग्री कॉलेज जहां बच्चे पढ़ते हैं कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। प्राकृतिक जल स्रोत के नाले जो सोन नदी की सहायक थी
उसे बिल्कुल नष्ट कर दिया गया है। बगैर नदी को बचाएं जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है इसलिए पर्यावरण संतुलन और जीवन सुरक्षा के लिए यह संघर्ष जरूरी है अगली सुनवाई में और भी महत्वपूर्ण साक्ष पेश किया जाएगा।

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