राष्ट्रीय अखंडता के लिए सर्वोच्च बलिदान हुए थे ओमप्रकाश चौबे
27जनवरी 1991को उल्फा ने खेली थी खून की होली, एकात्मता के लिए काम कर रहें थे माटी के लाल
सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जीवन ब्रती प्रचारक रहे सुकृत गांव के निवासी ओमप्रकाश चौबे की स्मृति में शुक्रवार को पौध रोपण किया गया। भारतीय किसान संघ के प्रान्त संगठन मंत्री संघ प्रचारक प्रभाकर जी के मार्गदर्शन में बीजेपी नेता दयाशंकर पाण्डेय , अखिल भारतीय भगवान श्री परशुराम अखाड़ा परिषद के पंडित आलोक चतुर्वेदी, हंस वाहिनी इंटर कालेज कसया के प्रबंधक राजेश मिश्र और संघ पूर्व प्रचारक भोलानाथ मिश्र ने बभनौली गांव स्थित कैलाश कुटीर के प्रांगण में आम्र पाली पौध का रोपण किया। ज्ञात हो संघ प्रचारक ओमप्रकाश चौबे जी असम में संघ कार्य करने गए थे। वहां उल्फा उग्रवादियों
ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया था। उल्फा को इस बात से गुरेज था कि संघ प्रचारक ओमप्रकाश चौबे प्रखर राष्ट्रवाद की अलख जगा रहे थे ।वे नारा दे रहे थें,’ असम हो या हो गोहाटी, अपना देश अपनी माटी ‘। इसी सोनभद्र के माटी के लाल की याद में आज पौध रोपड़ किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारको के स्मृति में अखिल भारतीय भगवान श्री परशुराम अखाड़ा परिषद पुरे जनपद में पौध रोपण कार्यक्रम चला रहा है। मातृ मंदिर का समर्पित दीप मैं चाह यह मेरी की मैं जलता रहुँ. ऐसी भावना से प्रेरित होकर सुकृत के एक साधारण परिवार का बालक संघ का जीवन ब्रती प्रचारक बना तहसील से जिला फिर जिले से असम की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई। जहां उन्हें असम के कोकराझार जिले में प्रचारक के रूप में तैनाती दी गयी थी। इनके द्वारा पूर्ण समर्पित रूप से किया जा रहा है कार्य उल्फा उग्रवादियों को पसंद नहीं आया और इस सोनभद्र के लाल को इतनी निर्मम तरीके से मारा गया कि शरीर का कोई भी टुकड़ा 1 किलो से ऊपर का नहीं बचा था।