राबर्ट्सगंज सुरक्षित लोकसभा सीट पर अब तक देश के लहर पर रहा चुनाव नतीजा

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुल सीट पर मुद्दों पर चुनाव कभी दिखाई नही दिया ।

सोनभद्र को पीएम जवाहरलाल नेहरू ने बताया था स्विट्जरलैंड ऑफ इंडिया

रावर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र के पांचों विधान सभा पर भाजपा-अपना दल गठबंधन का कब्जा

संजय द्विवेदी

सोनभद्र । अठारहवीं लोक सभा सामान्य निर्वाचन का विगुल बजते ही राजनैतिक गलियारों में मुद्दा एवं लहरों को लेकर चट्टी, चौराहे,बाजारों चर्चा का बाजार गर्म है।गौर करे तो सोनभद्र जनपद के राबर्ट्सगंज सुरक्षित लोकसभा सीट पर मुद्दों पर नही बल्कि देश के राजनैतिक पार्टियों के लहर पर चुनाव का नतीजा अब तक रहा है।क्या इस बार मुद्दों पर चुनाव जीता जायेगा कि फिर वही पुनरावृत्ति पार्टी के लहरों पर जीत दर्ज होगी।अगर अब तक हुये रावर्ट्सगंज सुरक्षित लोक सभा सीट पर चुनाव नतीजों के आंकड़े को देखा जाय तो राजनैतिक पार्टियों के देश मे बह रही लहर हॉबी है। राजनीति की करें तो रॉबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्र देश के 543 और यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से एक है।यह सीट

अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। इस लोकसभा के अंदर पांच विधानसभा क्षेत्र, जिसमें चार सोनभद्र जिले में और एक विधानसभा क्षेत्र चंदौली जिले में है।रॉबर्ट्सगंज लोकसभा के वर्तमान सांसद पकौड़ी लाल कोल हैं।राबर्ट्सगंज लोकसभा संसदीय सुरक्षित सीट पांच विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है। इनमें चार विधानसभा घोरावल, राबर्ट्सगंज, ओबरा और दुद्धी सोनभद्र जनपद में आती हैं।वही एक चकिया विधानसभा सीट जो चंदौली जनपद में स्थित है। पिछले दो चुनाव से यहां भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल का कब्जा है। चकिया (एससी) विधान सभा चंदौली जिले में स्थित हैं। चकिया विधान सभा सीट पर भाजपा के कैलाश खरवार विधायक चुने गए थे। सोनभद्र जिले के घोरावल विधान सभा सीट पर अनिल कुमार मौर्य, राबर्ट्सगंज विधानसभा सीट पर भूपेश चौबे को जीत मिली थी। ओबरा विधान सभा (एसटी) सीट पर संजीव गोंड और दुद्धी विधान सभा (एसटी) सीट पर राम दुलार गौड़ को विजय मिली थी।इस तरह रावर्ट्सगंज सुरक्षित संसदीय क्षेत्र के पांचों विधान सभा पर बीजेपी का कब्जा रहा।बताते चले कि रावर्ट्सगंज सुरक्षित लोकसभा सीट बनने के पहले 1952 पहला मिर्जापुर लोकसभा आम चुनाव में रूपनारायण निर्वाचित हुये। 1957 में लोक सभा दूसरा आम चुनाव में 38 मिर्जापुर लोकसभा सुरक्षित सीट के नाम पर था जिस पर दो कांग्रेस पार्टी के दो सांसद जे एन विल्सन एवं रूपनारायण निर्वाचित हुये थे। 1962 में 54 राबर्ट्सगंज लोकसभा (एससी )सुरक्षित सीट का उदय हुआ। राबर्ट्सगंज सुरक्षित लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1962 में हुआ कांग्रेस पार्टी के प्रत्यासी राम स्वरूप 83280 मत पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जे एम पार्टी के सरबजीत को 25841 मत हरा कर बने सांसद वही जे एम पार्टी सरबजीत को 57439 मत मिले।जबकि यह लोक सभा तीसरा आम चुनाव रहा।उन्होंने 1967 और 1971 के आम चुनावों में भी जीत हासिल की। वर्ष 1977 में देश में जनता पार्टी की लहर थी और राबर्ट्सगंज संसदीय सीट भी इससे अछूती नहीं रही। जनता पार्टी के उम्मीदवार शिव संपत्ति राम ने लोकसभा चुनाव जीत लिया। इसके बाद वर्ष 1980 और 1984 में चुनाव में कांग्रेस के प्रत्यासी राम प्यारे पानिका ने बाजी मारा। 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में यह सीट भारतीय जनता पार्टी के झोली चली गई। बीजेपी के प्रत्यासी सुबेदार प्रसाद ने जीत हासिल की।1989 में हुए लोकसभा चुनाव में यह सीट भारतीय जनता पार्टी के पास चली गई। बीजेपी के प्रत्यासी सूबेदार प्रसाद ने शानदार जीत दर्ज की। 1991 के लोकसभा चुनाव में एक बार बाजी पलटी यह सीट जनता दल के पास चली गई। जनत दल के राम निहोर राय ने चुनाव में सफलता हासिल की। इसके बाद वर्ष 1996, 1998, 1999 के चुनाव में बीजेपी के प्रत्यासी राम शकल ने बाजी मारी वे तीन बार सांसद रहे। वर्ष 2004 के चुनाव में बीजेपी को बीएसपी ने मात दी बीएसपी प्रत्याशी लाल चंद्र कोल ने जीत दर्ज की।

वही वर्ष 2009 के चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पकौड़ी लाल कोल ने इस सीट पर 2,16,478 मत पाकर विजयी रहे वही बीएसपी के प्रत्याशी राम चन्द्र त्यागी को 1,66,219 मत मिले थे । वर्ष 2014 के चुनाव में राबर्ट्सगंज संसदीय सीट पर मोदी लहर में एक बार फिर भगवामय हो गई। बीजेपी के प्रत्यासी छोटेलाल ने 3,78,211 मत प्राप्त किया , बीएसपी के प्रत्याशी शारदा प्रसाद को 1,87,725, एसपी के पकौड़ी लाल कोल को 1,35,966 तथा कांग्रेस के भगवती प्रसाद चौधरी को 86,235 वोट मिले।लोकसभा संसदीय सीट के वर्ष 2019 एक बार फिर भाजपा गठबंधन से अपना दल के प्रत्यासी पकौड़ी लाल कोल ने परचम लहराया। भाजपा -अपना दल गठबंधन के प्रत्यासी पकौड़ी लाल कोल को 4 लाख 47 हजार 914 वोट मिले थे।वही सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी भाई लाल को 3 लाख 93 हजार 578 वोट मिले। कांग्रेस के रहे प्रत्यासी भगवती प्रसाद चौधरी को मात्र 35 हजार 269 वोट मिले थे। गौर तलब है कि सोनभद्र जनपद भारत वर्ष का दूसरा बड़ा जनपद है जिसकी सीमा पश्चिम में मध्य प्रदेश दक्षिण में छत्तीसगढ़ पूर्व में झारखण्ड तथा बिहार एवं उत्तर में उत्तर प्रदेश का मीरजापुर जिला है।मिर्जापुर से 1989 में अलग हुआ था सोनभद्र बता दें कि सोनभद्र जिले की स्थापना 1989 में हुई थी। इसे मिर्जापुर जिले से अलग किया गया था। औद्योगिक इतिहास के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है यह जिला। प्रदेश में सर्वाधिक खनिज पदार्थ, बिजली, वन सम्पदा, उद्योग धन्धे उपलब्ध हैं। लोगों का कहना है कि सोन नदी के बहने के चलते इस जिला का नाम सोनभद्र पड़ा। वर्तमान में इस जनपद का मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज है।सोनभद्र जनपद का रार्बट्सगंज प्रमुख नगर के साथ साथ जिला मुख्यालय भी है। सोनभद्र सोन नदी के किनारे बसा हुआ है। सोन के अलावा रिहन्द , कनहर , पांगन आदि नदिया भी अपनी छटा बिखेरती हुई सोनभद्र की धरती से गुजरती है।सोनभद्र विंध्य और कैमूर पर्वत श्रंखला के बीच में स्थित है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और पर्वतीय पर्यटक स्थल होने के कारण देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सोनभद्र को स्विट्जरलैंड ऑफ इंडिया की संज्ञा दी थी। वह वर्ष 1954 में चुर्क सीमेन्ट फैक्ट्री का उद्घाटन करने आए थे। सोनभद्र को एनर्जी कैपिटल ऑफ इंडिया भी कहते हैं क्योंकि यहां सबसे ज्यादा पावर प्लांट हैं।उत्तर प्रदेश राज्य का अंतिम जनपद सोनभद्र उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के बड़े हिस्से को बिजली से रोशन करता है। एनटीपीसी , उत्तर प्रदेश राज्य विधुत उत्पादन निगम , आदित्य बिड़ला की एल्युमीनियम कम्पनी हिण्डाल्को, अल्ट्राटेक सीमेंट, ग्रासीम इंडस्ट्रीज ,रेनुपावर एवं एनसीएल की कोल परियोजनाओं के कारण पावर हब कहते है।यहाँ से देश के विकाश में अरबो रुपया का राजस्व वसूला जाता है।सोनभद्र का जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज है और इसी नाम से लोकसभा की सीट भी है। राबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट है। जो देश में बह रही लहर के साथ ही पार्टियों को जीत दिलाती रही है।अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुल सीट पर मुद्दों पर चुनाव कभी दिखाई नही दिया ।राजनैतिक पार्टियों द्वारा विकास की बातें खूब होती हैं, लेकिन गांव ही नहीं शहरी इलाकों में भी विकास ना मात्र दिखाई देता है। हर पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए योजनाओं की बातें ही करती है।सरकारों द्वारा योजनाएं आती भी हैं, लेकिन उसका फायदा बिचौलिए ही ले जाते दिखाई देते हैं। राबर्ट्सगंज सीट पर कुल वर्ष 2019 के लोकसभा निर्वाचन में कुल 1349294 मतदाता थे, जो वर्तमान में बढ़कर 13,96,141 हो गये हैं। इस प्रकार 46847 मतदाता 2019 से लोकसभा निर्वाचन-2024 हेतु बढ़ गये हैं।सोनभद्र जिले में कुल 1441 गांव, चार तहसील, 10 ब्लॉक और 22 पुलिस स्टेशन हैं। एक नगर पालिका परिषद, और 9 नगर पंचायत है।कुछ गांवों काट कर नगर पंचायत बना है। 2011 में, सोनभद्र की जनसंख्या 1,862,559 थी, जिसमें पुरुष और महिला क्रमशः 971,344 और 891,215 थे। बर्तमान कुल आबादी लगभग 24 लाख का अनुमान है। सोनभद्र विंध्य और कैमूर पर्वत श्रंखला के बीच में स्थित है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और पर्वतीय पर्यटक स्थल होने के कारण देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सोनभद्र को स्विट्जरलैंड ऑफ इंडिया की संज्ञा दी थी। वह वर्ष 1954 में चुर्क सीमेन्ट फैक्ट्री का उद्घाटन करने आए थे। सोनभद्र को एनर्जी कैपिटल ऑफ इंडिया भी कहते हैं क्योंकि यहां सबसे ज्यादा पावर प्लांट हैं।

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