सोनभद्र। (भोलानाथ मिश्र/सर्वेश श्रीवास्तव) 35वर्ष कितने कम या अधिक होते हैं इस पर बहस के कई पहलू हो सकते हैं। लेकिन मिर्जापुर से पृथक होकर 4 मार्च, 1989 को सृजित सोनभद्र जनपद अब 35 साल का हो चुका है। सुरेश चंद्र दीक्षित से लेकर चंद्र विजय सिंह तक यहां तैनात
जिलाधिकारियों ने अपने-अपने ढंग और नजरिए से बहुत कुछ किया हैं। लेकिन कुछ ही जिलाधिकारी आम लोगों के जेहन में आज भी हैं। ऐसे ही रिजवान अहमद से डा0 यशवीर सिंह तक पुलिस अधीक्षकों ने काम किया लेकिन
चंद कप्तान ही याद आते हैं। आजादी के अमृतकाल में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव होगा तो राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र में 19वीं बार चुनाव होगा। वजह एक बार आपरेशन दुर्योधन के तहत एक सांसद धराए थे जिसके कारण उप चुनाव विधान सभा चुनाव के साथ हुआ था। इन 35 सालों में सोनभद्र भारत भद्र बनने की दिशा में एक एक कदम बढ़ा रहा है। सन 1952, 1957, 1962, 1967 और 1971 के बाद 2014 में एक बार फिर एक ही पार्टी के जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुए जिन्होंने अपने अपने तरीके से जनपद के विकास में योगदान दिया। बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा और तकनीकी, प्राविधिक तथा चिकित्सा शिक्षा के नामी गिरामी संस्थानों से अब हजारों छात्र-छात्राएं अपना भविष्य बना रहे है। वो भी क्या वक्त था जब बीएड, एल एल बी आदि के लिए वाराणसी जाना पड़ता था। आज सोनभद्र में 44 पीजी कालेज हर प्रकार की उच्च शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।इंजीनियरिंग कालेज और मेडिकल कालेज के अलावा पालीटेक्निक संस्थान और प्राविधिक कालेज अपने ही जिले में उपलब्ध हो चुका है। जब मिर्जापुर जिला था तो दक्षिणांचल के नाम से मशहूर रहे। इस क्षेत्र के निवासियों को ‘दखिन्हा’ कहकर लोग उपेक्षित समझते थे। यहां की पहचान मिर्जापुर जिले के रूप में थी लेकिन अब सोनभद्र अपनी लोक कला, लोक परंपरा, लोकगीत, लोक संस्कार, पर्यटन, वन्य जीव, वन्य उपज, जल, जंगल, जमीन, जन, जानवर के लिए अपनी अलग पहचान बना रहा है। सलखन का जीवाश्म विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है। शहिद उद्यान पार्क परासी 112 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गौरव गाथा को रेखंकित करते हुए प्रदेश में अपना वहीं स्थान बना रहा है जो पंजाब में जालियां वाला बाग का महत्त्व है। छत्रपति शिवाजी राजा के शौर्य के प्रतीक को दर्शाने वाली पावन खिंड दौड़ का आयोजन भारत में उदाहरण बना हुआ है। क्रीड़ा भारती और शाहिद उद्यान ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में लगभग 20 हजार प्रतिभागी पूरे जिले में प्रतिभाग किए। होटल अरिहंत में श्री रामनवमी महोत्सव में सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य, पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र, पदमश्री अजीता श्रीवास्तव, विहिप के अंबरीश और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक रमेश की सहभागिता सोनभद्र के लिए उपलब्धि थी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में विश्व प्रसिद्ध महानाट्य ‘जाड़ता राजा’ देखने के लिए टिकट लेकर 4हजार दर्शक वाराणसी गए। इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक के मार्गदर्शन में दो बड़ी बैठकें हुई थी। यह सब सोनभद्र की उपलब्धि थी जो स्वतंत्र जिला बनने के कारण हासिल हुई।