भोलानाथ मिश्र/सर्वेश श्रीवास्तव
सोनभद्र। उस दिन शनिवार था और तिथि थी विजया एकादशी, तदनुसार 4 मार्च, 1989 जब मेरा सृजन हुआ था। 4 मार्च 2024 दिन सोमवार, तिथि फाल्गुन, कृष्णपक्ष, अष्टमी के दिन मैं 35 साल को हो जाउंगा। मैं विंध्य पर्वत से सोनभद्र बोल रहा हूं। उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला हूं। मैं भारत का एक मात्र जिला हूं जिसकी सीमाएं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झार खंड और बिहार की सीमा का स्पर्श करती हैं। 6788 वर्ग किमी क्षेत्रफल में चार तहसीलें, दस ब्लॉक 629 ग्राम पंचायतें और 1441 राजस्व गांवों में कुल 20 लाख लोग निवास करते हैं। सृजन के दिन सुबह होते ही रॉबर्ट्सगंज की मंडी समिति में लोग जुटने लगे थे। मानर बजाते, नाचते गाते वनवासी, गिरिवसी, आदिवासी आने लगे
थे। जिला बनाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के ही नही बल्कि सभी के चेहरे खिले हुए थे। प्रातः के 10 बजते बजते परिसर हजारों लोगों से खचा-खच भर चुका था। कहीं शंख ध्वनि हो रही थी तो कही तुरही बज रही थी। सिंहा, नगाड़ा, बड़ी ढोलक, मजीरा, मानर की ध्वनि सभी को हर्षित कर रही थी। पूरा परिसर दुल्हन की तरह सजा था। विशाल मैदान में लोग गाजे बाजे के साथ आए थे। जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर, झंडे, रंग बिरंगे पताकाओं से उद्घटान स्थल गुलज़ार था। मंच सजकर प्रतीक्षा कर रहा था। आदिवासियों के गुम हो रहे साज़ो की आवाज़ से उत्सव जैसा माहौल था। लोग उमंग से भरे बेसब्री से मुख्य मंत्री नारायण दत्त तिवारी के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्था चाक चौबंद करने में जुटे थे। तक़रीबन 11 बजे आसमान में स्लेटी रंग का उड़न खटोला (हेलीकाप्टर) नील गगन में नज़र आया। लोगों के कौतूहल का पारा उछाल मार रहा था। ज्यादा देर नहीं लगी मंच के बाई ओर बने हेलीपैड पर धूल उड़ाता, उड़न खटोला उतर चुका था। हल्के बादामी रंग की बन्द गले की शेरवानी और झकास सफेद रंग के चूड़ी दार पायजामे, सर पर सफ़ेद गांधी टोपी लगाए जैसे ही मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी मंच पर आए गगनभेदी जयकारे से मंडी परिसर चहकने लगा था। मंच का संचालन मिर्जापुर के सांसद पण्डित उमाकांत मिश्र कर रहे थे। जैसे ही संचालक ने भूमिका रखनी शुरू की वैसे ही हर्ष के नारे लगने लगे। दलगत भावना से ऊपर उठकर सभी राजनीतिक दलों के नेता उत्साह में नारे लगाने लगे थे। पण्डित लोकपति त्रिपाठी की मौजूदगी में नारायण दत्त तिवारी ने “सोनभद्र जनपद के मानचित्र” का अनावरण किया तो करतल ध्वनि की गड़गड़ाहट से वातावरण गूंज उठा। खचाखच भरे परिसर में केवल करतलिध्वनि हर्षनाद, नारे, नगाड़े, ढोल, मजीरे, मानर, तुरही, निशान ढपली, शंखध्वनि आदि एक साथ विलक्षण ध्वनि सृजित कर दिए थे।
मुख्यमंत्री जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा था।
“सोनभद्र एक दिन भारत भद्र बनेगा”
इसी मंच से एन डी तिवारी ने प्रथम जिलाधिकारी सुरेश चंद दीक्षित और प्रथम पुलिस अधीक्षक रिजवान अहमद का परिचय कराया था। मंच पर स्वाधीनता संग्राम सेनानी पण्डित राधा प्रसाद शर्मा अध्यक्षता किए थे। मिर्जापुर के सांसद
उमाकांत मिश्र ने संचालन किया था। राजा शारदा महेश इण्टर कालेज के कला शिक्षक विपिन बिहारी लाल श्रीवास्तव ने सोनभद्र का मानचित्र एक कैनवास पर उकेरा था जिसका अनावरण मुख्यमंत्री ने किया था। आदिवासियों ने करमा नृत्य से मंत्रमुग्ध कर दिया था। सोनभद्र अस्तित्व में आ गया था। इस समय जो तहसील भवन है उसी में कलेक्ट्रेट का कामकाज शुरू हो गया। 4 मार्च 1990 को प्रथम स्थापना दिवस मनाया गया था। विकास की झांकी सजी थी। सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न विभागों का प्रजेंटेसन हुआ था। प्रथम जिलाधिकारी इस मंच के संचालन
की ज़िम्मेदारी पत्रकार भोलानाथ मिश्र को सौंपी थी। हस्तक्षेप करके देने के लिए स्वयं मंच पर ले गए थे और यह कार्य उन्होंने यह कहते हुए सौंपा था कि हमें जनपद के लोगों को आगे लाना है।