—- नगर पंचायत बन जाय तो तीन गाँवों की बदल जाएगी सूरत
बीजपुर(सोनभद्र)प्रदेश सरकार से नगर पंचायत बीजपुर का दर्जा माँग रहे 16 हजार आवादी वाले बीजपुर, डोडहर,सिरसोती के रहवासी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जूझ रहे हैं। अगर बीजपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिल जाय तो राशन कार्ड,जन्म मृतु प्रमाण पत्र,नाली, खड़ंजा ,सम्पर्क मार्ग,बिजली, पानी, दवाई ,सफाई ,सुंदरीकरण आदि जैसी समस्याओं से निजात मिल जाएगी साथ ही तीनो ग्राम पंचायतों के रहवासियों को ब्लाक, तहसील सहित जनपद मुख्यालय से छोटे छोटे कार्य के लिए बिभिन्न कार्यालयों का चक्कर काटना बन्द हो जाएगा इससे लोगों का समय और श्रम दोनों की बचत हो जाएगी साथ ही विकास के नाम पर विस्थापित बस्तियों में हो रहे सरकारी धन के बंदर बांट पर अंकुश भी लग जायेगा।
*बीजपुर नगर पंचायत बना तो विकास का खाका खुद तैयार होगा*
नगर पंचायत के लिए दस हजार की आवादी होना अनिवार्य है। वर्तमान समय बीजपुर में 11 हजार, डोडहर में 31 सौ, सिरसोती में 18 सौ कुल 15900 आवादी के तीनों अलग अलग ग्राम पंचायतें परियोजना से बिस्थापित और सटे हुए आवाद है। सरकार और जनप्रतिनिधि अगर विकास के प्रति संजीदा हैं तो तीनों ग्राम पंचायतों को सम्लित कर बीजपुर को एक नगर पंचायत का मान्यता दिलाएं खुद अपने आप विकास का खाका तैयार होने लगेगा और तीनों गाँवो की सूरत बदल जाएगी।
*बिस्थापित परिवार अब आम आदमी की तरह जीवन जीने को होगा मजबूर*
एनटीपीसी रिहन्द के कुछ एक अधिकारी अब विस्थापित परिवार को उनके सुविधा से बंचित रखना चाहते हैं एनटीपीसी रिहंद प्रबन्धन के एक वरिष्ट अधिकारी कहते हैं कि जिंदगीभर विस्थापित परिवार का बोझ हम नही उठायेगें जो बिस्थापित थे सर्विस किये रिटायर हुए तब तक उनको एनटीपीसी ने सब कुछ दिया अब क्या उनके नाती पोता भी वही लाभ लेते रहेंगे अब ऐसा नही होगा। यानी विस्थापित बस्ती के लोगों को मेडिकल सुविधा, रोजगार, काम, धंधा, व्यवसाय,नौकरी, साफ, सफाई, सड़क, पानी, नाली,बिजली आदि की सुविधा पर खतरा नज़र आ रहा है स्थानीय प्रबन्धन ने अपनी सुविधा के लिए टीएसी कार्यालय को यथावत रखते हुए ग्रामीणों के रोजी रोजगार की सुविधा के लिए खोले गए यूपीएल कार्यालय को बन्द कर दिया है।
*मूलभूत समस्या को लेकर मामला गरम है*
तीनों ग्राम पंचायतों में बिजली पानी रोजगार सहित परियोजना में कार्यरत कार्यदायी संस्थाओं द्वारा मजदूरों के शोषण जैसी अनेक प्रमुख समस्याओं को लेकर तीनों गाँवों के ग्राम प्रधान जनप्रतिनिधि तथा गाँवों के सम्भ्रांत लोग चिन्तित हैं। समाधान के लिए बैठकों का दौर जारी है दर्जनभर से अधिक समस्याओ के निराकरण को लेकर 26 नवंबर को एक आम सभा का आयोजन भी किया गया था लेकिन प्रशासन की ओर से अनुमति न मिलने के कारण सभा को स्थगित करना पड़ा। बैठकों का दौर पिछले दो महीने से गाँवो में चल रहा है पूरे मामले की बिंदुवार प्लानिंग पूर्व जिला पंचायत सदस्य जरहा केदार यादव और अन्य सम्भ्रांत लोग कर रहे हैं।