पंडित अजय शेखर को शब्द शार्थी, डॉ विभा को धनवंतरी और कमलेश राजहंस को साहित्य शिखर सम्मान से किया गया सम्मानित
पंडित दीन दयाल उपाध्याय विचार मंच ने आयोजित किया था प्रतिभा सम्मान समारोह एवं कवि सम्मेलन
विशेष संवाददाता द्वारा
मिथिलेश द्विवेदी/सर्वेश श्रीवास्तव
सोनभद्र। जनपद के दुद्धी नगर स्थित डीसीएफ कालोनी के समीप ग्रीन स्टार होटल परिसर में सोमवार की शाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्म दिन के अवसर पर पंडित दीन दयाल उपाध्याय विचार मंच द्वारा नगर के सुप्रसिद्ध चिकित्सा एवं समाजसेवी डा लवकुश प्रजापति द्वारा आदिवासी महिला के जीवन पर लिखी गई पुस्तक सोनभद्र की फूलमती का विमोचन
राज्य सभा सांसद राम सकल, राज्यमंत्री संजीव गोंड और दुद्धी विधायक राम दुलार सिंह गोंड द्वारा किया गया । इस दौरान वरिष्ट साहित्यकार पंडित अजय शेखर को शब्द शार्थी, डा विभा को धनवंत्री और कमलेश राजहंस को साहित्य शिखर , प्रेमनारायण उर्फ मोनू को रक्त बार और नज़रानी को शौर्य ऊर्जा सम्मान अतिथियों के कर कमलों द्वारा प्रदान किया गया। इनके अतिरिक्त पांच विद्यालयों के 15 छात्रों को मिशन
चंद्रयान और इसरो पर निबंध लेखन के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही आदिवासी बच्चो द्वारा कर्मा और शैला नृत्य प्रस्तुत किया गया। मौके पर राज्य मंत्री ,सांसद और विधायक ने प 0 दीन दयाल उपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विचार मंच के आयोजन की सराहना की। मंच के अध्यक्ष डा लवकुश ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 1982 से स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करते हुए हमने आदिवासी जीवन जिया
और उसी से सच्ची घटनाओं पर आधारित सोनभद्र की फूलमती की कहानी लिखी। संचालन मंच के महामंत्री जितेंद्र चंद्रवंशी और अध्यक्षता संसद राम सकल ने किया। मौके पर
मुख्य रूप से नगर अध्यक्ष कमलेश मोहन, संरक्षक नंदलाल, ब्लॉक प्रमुख मानसिंह, रंजना चौधरी, राम पाल जौहरी, सत्यनारायण सिंह, राफें खा, विनय श्रीवास्तव, डा संजय अनमोल शिव शंकर, संतोष जायसवाल, अनूप दुबे, हरि प्रसाद, रामबृक्ष, देवनारायण खरवार, विवेक सिंह आदि उपस्थित रहे।
कवि सम्मेलन में रात भर झूमते रहे श्रोता
दुद्धी। पंडित दीन दयाल उपाध्याय विचार मंच द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में कलेश राज हंस,यथार्थ विष्णु , विभा शुक्ल, मनोज माथुर, डा लखन राम जंगली आदि चर्चित कवियों द्वारा प्रस्तुत किए गए गीत, गजल व मुक्तकों को सुन उपस्थित कविता प्रेमी श्रोता रात भर ठहाके लगाते रहे और गीतों पर मुग्ध हो तालियां बजाते रहे।