ईमलीपुर-सोनभद्र(रोहित त्रिपाठी)। विकासखंड कर्मा अंतर्गत जुड़वरिया गांव में कलश यात्रा के साथ सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन बाल गोविंद त्रिपाठी के पैतृक
आवास पर हुआ। गांव के ही प्राचीन तालाब पर स्थित शिवालय पर आचार्यों के श्री मुख से वेद मंत्रों द्वारा विधिवत पूजन अर्चन करवाया गया तत्पश्चात तालाब से कलश में जल
भरकर स्थापित किया गया। श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस पर व्यास आचार्य सत्यवान दुबे ने मार्मिक प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि इस कलयुग में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करके मनुष्य सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि अपने पितरों का भी कल्याण कर सकता है अर्थात इस कथा के श्रवण से पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है उदाहरण देते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी लिखा है-कलयुग केवल नाम आधारा सुमिर- सुमिर नर उतरहि पारा।। तत्पश्चात बाल व्यास मयंक दुबे ने अपने सुमधुर वाणी से एक तरफ भजन सुनाते हुए लोगों की तालियां बटोरी वहीं दूसरी तरफ संगत की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि अधम से अधम पुरुष भी संगत के चलते महान बन सकता है -सठ सुधरहि सत्संगति पाई ।
पारस परस कुधात सुहाई।। अर्थात जिस तरह पारस पत्थर के संपर्क में आ जाने से लोहा भी स्वर्ण बन जाता है ठीक उसी
तरह सत्संग से व्यक्ति देव तुल्य हो जाता है । इसलिए श्रीमद् भागवत पुराण जो 18 पुराणों में से पांचवा पुराण है इस कथा का श्रवण करने वाला व्यक्ति सभी प्रकार के पुण्य तीर्थ स्थलों के दर्शन व लाभ प्राप्त कर लेता है। मौके पर आचार्य शिव शंकर दुबे, धर्मेश मिश्र , दीपक उपाध्याय, रवि मिश्र, व दर्जनों विप्रो ने वेद मंत्रों से पंडाल को मंत्र मुक्त कर दिया। आयोजन आचार्य धीरेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि इस तरह की कथाओं का आयोजन करना पिछले जन्म व पितरों के पुण्य प्रभाव का फल है इस संगीतमय कथा को सुनकर क्षेत्रवासी भाव विभोर हो गए। तथा राधे -राधे के नारों से पूरा पांडाल गूंजयमान रहा।