“इसे समझो ना रेशम की डोर भईया”

कलाई पर बांधा प्यार का धागा, भाइयों ने किया रक्षा का वादा

सर्वेश श्रीवास्तव/ज्ञानदास कन्नौजिया

शाहगंज-सोनभद्र। भाई-बहन के अटूट प्रेम का बंधन रक्षाबंधन का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ परंपरागत ढंग से मनाया गया। बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा बांधकर आरती उतारकर मुंह मीठा कर तिलक लगाकर अपनी रक्षा का संकल्प दिलाया और आशीर्वचन प्राप्त किया।

पुरोहितो ने भी अपने यजमानों और गुरुजनों ने अपने-अपने शिष्यों के कल्याण के लिए उनके कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा। इस पर्व पर महंगाई का भी असर दिखा। बुधवार सुबह से ही तमाम शादीशुदा बहने अपने माइके भाई को राखी बांधने के लिए पहुंचने लगी थी यह क्रम गुरुवार को भी पूरे दिन चलता रहा। इस दिन राखी तथा मिष्ठान भंडारों पर काफी भीड़ रही और बाजार में भी काफी चल-पहल रही। ऊहापोह से इस

साल यह पर्व दो दिन मना। पूर्णिमा पर भद्राकाल होने की वजह से कुछ बहनें मुहुर्त के अनुसार बुधवार रात्रि तो कुछ गुरुवार को प्रातः राखी बांधी। इससे अलग हट तमाम बहनेंं दिन भर अपने भाइयों की कलाई पर स्नेह की डोर बाँधी। बताते चले कि भारतीय संस्कृत में स्त्री रक्षणीय मानी गई है रक्षा बंधन सांस्कृतिक रूप से भाई-बहन का अटूट पर्व है जिसे केवल हिंदू ही नहीं अन्य धर्म के लोग भी इसे मनाते है।

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