वाराणसी अर्दली बाजार में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य मनोहर कृष्ण जी महाराज ने सृष्टि विस्तार की कथा सुनाते हुए कहा कि ब्रह्मा के द्वारा मनु महाराज की उत्पत्ति हुई तत्पश्चात मनु महाराज के तीन बेटियां हुई जिसमें आकूति, देवहूति और प्रसूति के वंश विस्तार का वर्णन किया गया। आकुति का विवाह रूचि प्रजापति व देवहूति का विवाह कर्दम मुनि के साथ संपन्न हुआ। कर्दम मुनि के यहां भगवान स्वयं कपिल का रूप धारण कर अवतार लिए व माता देवहूति को सांख्य योग, कर्मयोग तथा ज्ञान योग के बारे में बताया। माता को नवधा भक्ति में पतिव्रता स्त्री के चरित्र के बारे में बताते हुए कहा कि राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में समस्त ब्रह्मांड के देवी ,देवताओं को निमंत्रण दिया गया तथा भगवान शिव को यज्ञ में नहीं बुलाया गया व यज्ञ में भगवान शिव का राजा दक्ष द्वारा अपमान करने पर पति व्रत का पालन करते हुए माता सती ने स्वयं की शक्ति से अपने शरीर की अग्नि को आहुति दे दी। जिसके बाद भगवान शिव के अंश वीरभद्र ने समस्त यज्ञ का विध्वंस कर दिया उन्होंने बताया कि जहां भी देवी देवताओं का अपमान व निंदा होता है वहां कोई कार्य सफल नहीं होता। कथा व्यास जी ने कहा कि भागवत कथा कल्पवृक्ष है जिस भाव से आप श्रवण करोगे वैसा फल आपको प्राप्त होगा।