मुख बधिर की दोस्ती की अनोखी मिसाल

एक दूसरे की भावनाओ का खूब करते है ये तीन दोस्त समानअभिषेक शर्मा

डाला(सोनभद्र) पारिवारिक रिश्तों के अलावा एक और महत्वपूर्ण रिश्ता हमारे जीवन में काफी महत्व रखता है वह है दोस्ती अथवा मित्रता का रिश्ता, जो विश्वास व सहयोग के आधार पर टिका होता है। मित्र राजदार भी होते हैं और सुख-दुःख के साथी भी। दोस्ती से जुड़ी अनेक बाते व कहानियां आपने सुना होगा आज मैं सोनभद्र के छोटे से नगर डाला से जुड़ा मुक बधिर दोस्तों की सच्ची दोस्ती की दास्तान बताने जा रहा हूं, तीन दोस्त निखिलेश सिंह, अजय यादव व एक दोस्त जो कुछ दिनों से अपने रिश्तेदारी में आया हुआ है उसका नाम चंदन है जो सेक्टर सी मोड़ पर स्थित चाय की दुकान पर पूर्व निर्धारित समय के अनुसार अपने और चयनित स्थान पर लगभग प्रतिदिन एकत्रित हो जाते हैं। तीनों

मूक-बधिर होने के कारण आपस में घंटों मुलाकात करते नजर आते है आपस में इशारों इशारों में एक दूसरे का सुख दुख बांटते हैं और अपने मे हंसी मजाक भी करते हैं। जिसे आसपास बैठे हुए लोग समझ नहीं पाते पर उन लोगों की दोस्ती को देखकर लोग अपने में चर्चा करते हैं कि जो एक दूसरे को समझ सके, वही दोस्ती होती है। तीनों एक दूसरे को आपस में समझते हैं और एक दूसरे का घंटों इंतजार कर मिलकर ही खुशी-खुशी घर जाते हैं और आसपास के क्षेत्र में मूक बधिर दोस्तों से भी इन लोगों की दोस्ती है। मुक बधिर निखिलेश सिंह उम्र करीब 24 वर्ष पुत्र वेद सिंह निवासी बाड़ी, डाला जो वाराणसी में स्थित मुक बधिर विद्यालय से शिक्षा प्राप्त किया हुआ है ने लिखकर जानकारी दिया कि डाला ओबरा चोपन में स्थित कुल 10 मूक बधिर दोस्तों से हमारी दोस्ती है। डाला के मूक-बधिर दोस्तों से घंटो एक दूसरे से मुलाकात हो जाती है और ओबरा और चोपन क्षेत्र में कुल 10 मुक बधिर दोस्त हैं मेरे जिनसे व्हाट्सएप, वीडियो कॉलिंग के जरिए एक दूसरे का हाल समाचार हो जाता है। चाय की दुकानदार ने बताया कि यह लोग घंटो आपस मे इशारों इशारों में बात करते हैं और काफी खुश रहते हैं। सभी एक दूसरे के पहुंचने का इंतजार करते हैं जब सभी पहुंच जाते हैं सब एक साथ ही चाय पीते हैं। मूक बधिर दोस्तों की आपसी प्रेम और मिलने की उत्सुकता को देखकर इनकी अटूट मित्रता की चर्चाएं हो रही हैं।

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