सिफरी द्वारा दो लाख बारह हजार मत्स्य बीज का वाराणसी के गंगा नदी में संचय किया गया

वाराणसी से सुरभी चतुर्वेदी की रिपोर्ट

भारतीय प्रमुख कार्प-कतला, रोहू, मृगल मछलियों के बीज को रैंचिंग सह जन जागरूकता कार्यक्रम के तहत छोड़ा गया

इस वर्ष गंगा नदी में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के 22 लाख से ज्यादा बीज का रैंचिंग होना रखा गया है वाराणसी। राष्ट्रीय नदी रैंचिंग कार्यक्रम 2023 के अवसर पर गंगा नदी में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन को ध्यान में रखते हुए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद -केन्द्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) के द्वारा आज बुधवार को संत रविदास घाट पर गंगा नदी में 212000 (दो लाख बारह हजार) भारतीय प्रमुख कार्प-कतला, रोहू, मृगल मछलियों के बीज को रैंचिंग सह जन जागरूकता कार्यक्रम के तहत छोड़ा गया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के अन्तर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डॉ बी0के0 दास ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए गंगा नदी में मछली और रैंचिंग के महत्व को बताया। उन्होने कहा कि इस वर्ष गंगा नदी में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के 22 लाख से ज्यादा बीज का रैंचिंग होना रखा गया है। कार्यक्रम के मुख्य विशिष्ट अतिथि डाॅ॰ बी पी मोहंती अतिरिक्त महानिदेशक (अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी), आईसीएआर, नई दिल्ली ने लोगो को गंगा के महत्व को बताया तथा इसे स्वच्छ रखने के लिए आह्वान किया। अनिल कुमार, मत्स्य उप निदेशक, उ प्र, ने मत्स्य योजनाओ की जानकारी के साथ मछली के बारे में बताया। इस अवसर पर प्रोफेसर राधा चौबे, काशी विश्वविद्यालय (BHU), राजेंद्र कुमार,मत्स्य निरीक्षक, सुबेदार सीवेंद्र सिंह, गंगा टास्क फोर्स, राजेश शुक्ला नमामि गंगे आदि ने जैव विविधता और मछलियों के बारे में जागरूक किया तथा गंगा को साफ रखने के लिए के लिए कहा। कार्यक्रम के प्रारंभ में आस-पास गाव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लागों ने भाग लिया। अन्त में संस्थान के वैज्ञानिका डा० वी आर ठाकुर धन्यवाद ज्ञापन किया, डॉ मितेश रामटेक, डॉ विकास कुमार, डॉ जितेन्द्र कुमार एवं अन्य अधिकारियों और शोधार्थीयों ने किया।

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