लखनऊ।उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों की हड़ताल से बिजली आपूर्ति चरमरा गई है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी ,मेरठ,बागपत,बरेली व सोनभद्र समेत कई शहरों में हड़ताल के पहले दिन ही जबरदस्त विजली संकट पैदा हो गया। गोरखपुर और कानपुर में फैक्ट्रियों में औद्योगिक उत्पादन ठप हो गया। राजधानी लखनऊ का करीब एक-चौथाई हिस्सा बिजली संकट की चपेट में रहा। वहीं, ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने हड़ताली कर्मचारियों को चेताया है कि लाइन में फॉल्ट करने वालों को आकाश-पाताल से खोज निकालकर कड़ी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने आपूर्ति को पूरे नियंत्रण में बताते हुए कहा कि प्रदेश में चार हजार मेगावाट सरप्लस बिजली है। उधर, हाईकोर्ट इलाहाबाद ने कर्मचारी नेताओं को अवमानना नोटिस जारी किया है।ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बातचीत के रास्ते खुले हैं। नेशनल ग्रिड से जुड़े कार्यालय में बृहस्पतिवार रात 11 बजे के बाद सिस्टम ठप करने का प्रयास करने वाले कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने जनता से अपील की कि ये चुनौती की घड़ी है। संयम बनाए रखें। जो कर्मचारी अपनी सेवा देना चाहते हैं, उन्हें कोई न रोके सके, इसका ध्यान जनप्रतिनिधि रखें।
हाईकोर्ट सख्त, 20 को करेगा सुनवाई
बिजली कर्मचारियों के हड़ताल के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर्मचारी नेताओं को अवमानना नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ को वारंट तामील कराने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कर्मचारी नेताओं को 20 मार्च को तलब किया है। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि यह हड़ताल हाईकोर्ट के उस पुराने आदेश के खिलाफ है, जिसमें कहा गया है कि बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का दावा है कि हड़ताल के चलते उत्पादन निगम की 1030 मेगावाट क्षमता की 5 इकाइयां ठप हो गई हैं। प्रदेश में कुल 1850 मेगावाट उत्पादन प्रभावित हुआ है। समिति ने बिजलीकर्मियों पर तोड़फोड़ के आरोपों का कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि बिजली कर्मी विद्युत संयंत्रों को अपनी मां की तरह मानते हैं और शांतिपूर्ण ढंग से हड़ताल कर रहे हैं। समिति पदाधिकारियों का कहना है कि पारेषण की सैकड़ो लाईनें बंद हैं और बड़े पैमाने पर 33/11 केवी उपकेंद्रों से आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
संघर्ष समिति ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन को हड़ताल के लिए उत्तरदाई ठहराते हुए कहा है कि बिजलीकर्मी ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते के सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। समिति का दावा है कि 16 मार्च की रात 10 बजे हड़ताल शुरू होने के बाद उत्पादन गृहों, एसएलडीसी और पारेषण विद्युत उपकेंद्रों की रात्रि पाली में कार्य करने के लिए एक भी बिजलीकर्मी ड्यूटी पर नहीं गया। हड़ताल शत-प्रतिशत सफल रही है।वही अनपरा में हड़ताल को सफल बनाने में कर्मचारी एक जुट दिखाई दे रहे है।सोनभद्र में हड़ताल का असर एनसीएल परियोजनाओं पर पड़ सकता है।