जोरमा आस्था के दर्शन और पहाड़ी से नजर आता प्रकृति का अनुपम सौंदर्य

ओम प्रकाश रावत

विंढमगंज (सोनभद्र)। दुद्धी तहसील से से महज 20 किमी दूर स्थित यह एक ऐसा स्थान है जहां दिन में कभी भी जाया जा सकता है। विंढमगंज थाना क्षेत्र के महुली, जोरुखाड़, परासपानी, जाताजुआ के बीच मे स्थित चर्चित जोरमा गांव पहुंचा जा सकता है। अभी सड़क तो बेहतर नहीं किन्तु आस्था

के इस केंद्र में भक्तों ने मंदिर को सुविधायुक्त बना दिया।
सोनभद्र जिले के दुद्धी तहसील के जोरमा गांव में पहाड़ी पर गणेश शिवलिंग का मंदिर बना हुआ है। गांव के नाम से ही यहां जोरमा मंदिर को जानते हैं, इस मंदिर को जो अब प्रचलित हो चुका है। मान्यता है कि यहाँ पहाडो के उपर एक साधू बाबाजी

रहा करते थे और गांव वाले को जब पता चला तो दर्शन करने लगे अपने दुखों को बाबा को बताते थे और बाबा उनको आशीर्वाद देकर भेज देते थे और उनका दुख निवारण हो जाता था। अभी भी जो लोग नि:संतान है जो दुखों से पीड़ित हैं यहां पर मन्नते मांगते हैं और वह पूर्ण भी होता है ऐसे गांव के लोगों का कहना है ,यहां हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अगर

आपकी मनोकामनाएं पुर्ण हो जाती है तो आप बाबा पर प्रसाद चढ़ा सकते हैं या कुछ दान कर सकते हैं! पुरानी बाते है बाबा अचानक गायब हो गए लेकिन गांव वालों का मानना है कि बाबा यहीं पर रहते हैं अदृश्य हैं वह कभी-कभी रातों में दिखाई भी देते हैं इसलिए गांव के श्रद्धालुओं ने यहाँ पर मंदिर स्थापित कर दिया एक बाबा की प्रतिमा लगाई है और एक शिवलिंग और गणेश भगवान की भी प्रतिमा है मंदिर निर्माण हो ही रहा है। यहां बाबा की मूर्ति के दर्शन और पूजा अर्चन के लिए कार्तिक पूर्णिमा में तो भक्तों का मेला लगा रहता है। यह स्थान अध्यात्म की दृष्टि से तो अहम है ही साथ ही प्रकृति प्रेमियों के लिए भी बहुत आकर्षक है। पहाड़ों के ऊपर बाबाजी के दर्शन होते हैं। पहाडो से दूर-दूर तक हरियाली और विहंगम दृश्य नजर आता है। पिकनिक करने के लिए भी यह मनमोहक स्थान है। यहां तक का सफर और भी खूबसूरत है। हरियाली के बीच से होकर गुजरता संकरा रास्ता और आसपास नजर आते गांव सफर को सुहाना बना देते हैं। थोड़ा कष्टदायक रास्ता वाले इस स्थान पर यदि आप जा रहे हैं तो प्रयास करें कि स्थानीय नागरिकों की मदद लें साथ में पानी कुछ खाने को साथ जरूर ले ले!

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