जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से सन् 2023 में सिंह राशि का वैदिक राशिफलसिंह LEO (म, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से सन् 2023 में सिंह राशि का वैदिक राशिफल
सिंह LEO (म, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

सन् 2023 में सिंह राशि का वैदिक राशिफल

सिंह LEO (म, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

शुभरंग भगवा व सफेद,

शुभ अंक 1,

शुभधातु स्वर्ण,

शुभरत्न माणिक,

शुभदिन रविवार,

शुभ तारीख 1, 10, 19, 28,

इष्ट सूर्य व हनुमान,

मित्र राशि मिथुन, कन्या, मेष, धनु,

शत्रु राशि वृष, तुला, मकर, कुम्भ,

सकारात्मक तथ्य खुल दिल-दिमाग वाला, उदार हृदय, गर्मजोशी,

नकारात्मक तथ्य घमण्डी, अति आत्मविश्वास, अति महत्त्वाकांक्षी,

शुभत्व के लिये सूर्य के अर्घ्य चढ़ावे,

शुभमास वैशाख, ज्येष्ठ, कार्तिक,
सामान्य मास चैत्र,

अशुभ मास श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, मार्गशीर्ष, पौष, माघ।
राशि स्वामी सूर्य है।

सिंह जातक तीव्र बुद्धिमान, स्वाभिमानी, उच्च-अभिलाषी, उदार-हृदय, निडर व आत्मविश्वास से भरपूर, धैर्यवान, उद्यमी, पराक्रमी, गंभीर प्रक़ति, न्याय प्रिय, संवेदनशील, आशावादी दृष्टिकोण, नेतृत्व व संचालन करने की क्षमता, अधिकार पूर्ण वाणी का प्रयोग करने वाला, अपने परिवार की उन्नति के लिये विशेष संघर्ष करने वाला, परिश्रमी, परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढाल लेने की प्रकृति, स्पष्टवादी, स्वतंत्र व प्रगतिशील विचारों का अनुयायी, ये किसी प्रकार के बंधन या आधीनता में काम करना पसंद नही करते, भ्रमण प्रिय अर्थात सुदूर देश विदेश में यात्रा करने का शौक होगा। सामान्यतः सिंह जातक उदारता से व्यवहार करते है परन्तु स्वभाव में उग्रता रखते हैं और कई बार आवेश व क्रोध में लाभ की जगह अपनी हानि कर लेते है। आत्म-प्रदर्शन व अत्यधिक हठ भी इनके लिये हानिकारक होती है।

सभी मामलों में ऊर्जावान बने रहते हैं। शांति, संयम, क्रोध भी उतना ही रखते हैं। मानसिक वैचारिक द्वंद्व बना रहता है। निष्कर्ष में संघर्ष होता है। शारीरिक, मानसिक हिम्मत, साहस भी स्वयं को रखना होता है। जातिगत, सामाजिक बंधनों के बजाय स्वयं की अलग पहचान चाहते हैं।

थोड़ा विस्तृत देख जाए तो ये जातक जीवन से प्रेम करते हैं, परन्तु उसे स्वयं ही संघर्षपूर्ण भी बना लेते हैं। सृजनात्मक कलाओं के अच्छे प्रशंसक होते हैं। उनकी आवश्यकताएं बहुत तथा खर्चीली होती हैं। पैसा टिकता नहीं। व्यक्तित्व अत्यन्त आकर्षक होता है। उसे और भी अधिक आकर्षक बनाना चाहते हैं। जीवन को पूरी शान के साथ जीना चाहते हैं और इसके लिए अपनी शक्ति का अपव्यय कर बैठते हैं। सिंह राशि के लोग केवल स्वयं ही शक्तिशाली नहीं होते अपितु वे अपनी शक्ति को दूसरों पर प्रक्षेपित भी किया करते हैं। वे अपने को प्रकाशित करने में कभी-कभी अजीब कठोरता का प्रदर्शन भी कर बैठते हैं। वे चाहते हैं कि अन्य लोग केवल उन्हीं को सुनें। सिंह राशि के लोगों को एकरसता पसन्द नहीं होती है। वे महत्वाकांक्षी, उज्ज्वल चरित्र वाले तथा लगनशील व्यक्ति होते हैं, परन्तु उनकी इच्छा यही रहती है कि पूर्वाधार का निर्माण कोई दूसरा ही कर दे, जिस पर वह स्वतन्त्रतापूर्वक स्वयं चल सकें। स्वतंत्रता, मौलिकता, लक्ष्य-प्राप्ति के लिए आत्म बलिदान की इच्छा सिंह राशि का प्रमुख गुण है। सिंह राशि वाले लोग अपने श्रोताओं के बीच बड़े विश्वास के साथ खड़े होते हैं। नाटक, अध्ययन तथा भाषण आदि के क्षेत्र में वे पर्याप्त उन्नति करते हैं। आतिथ्य करने की उनमें एक स्वाभाविक क्षमता होती है। वे अपने खर्च पर भी दूसरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, दूसरों के प्रति जितनी अधिक गुण ग्राहकता का प्रदर्शन करते हैं, स्वयं भी उतनी ही अधिक प्रशंसा प्राप्त करते हैं। सिंह राशि के लोगों के विचार संतुलित तथा रचनात्मक होते हैं। वे अपने से बड़ी आयु के लोगों से भी विचारशील होते हैं। उत्सव, समारोह आदि सम्पन्न करने में अत्यन्त कुशल होते हैं। अपने मित्रों तथा परिचितों पर उनका प्रभाव पड़ता है। ईमानदार तथा लड़ाकू होते हैं। दूसरों को अपने अनुग्रहों द्वारा सुखी बनाना उन्हें अच्छा लगता है। आज्ञा देना उनके स्वभाव के अनुकूल होता है। आज्ञा प्राप्त करना उन्हें रुचिकर नहीं लगता। सिंह राशि वालों में अनेक प्रतिभाओं के बीज होते हैं, परन्तु उन्हें निरन्तर प्रेरणा की आवश्यकता होती है तथा उसके लिए मूल्य भी चुकाना पड़ता है। उन्हें सुख तथा शान्ति की प्राप्ति अपने ही भीतर से होती है, बाहर से नहीं होती। सिंह राशि वालों के रहस्य रचनात्मक प्रकृति के होते हैं। उनके हृदय में गुप्त घृणा अथवा गुप्त पक्षपात को कोई स्थान नहीं मिलता है। वह अपने भेदों का उपयोग लाभ के लिए करते हैं। सिंह राशि वालों को चहल-पहल की आवश्यकता अनुभव होती है। उनके धन का भण्डार भरा रहना चाहिए, जिसे वह उदारतापूर्वक खर्च करते हैं। खाली हाथ पकड़े जाने का भय उन्हें बहुत चिन्तित रखता है। सिंह राशि के लोग किसी संस्था के अध्यक्ष पद के लिए सर्वोत्तम रहते हैं। यह अन्य लोगों के आकर्षण के केन्द्र होते हैं।

ता. 17 जन से वर्षान्त तक इस राशि पर शनि की शत्रु सप्तम दृष्टि रहने से बनते कार्यों में विलम्ब, स्कावटें रहेंगी। ता. 13 फर. से 14 मार्च तक राशिस्वामी सूर्य की तथा 12 मार्च तक मंगल की दृष्टि रहने से दौड़धूप अधिक, धन लाभ होता रहेगा परन्तु उत्तेजना व क्रोध से बचें। ता. 15 मार्च से 13 अप्रैल तक सूर्य अष्टमस्थ बु. होने से पिता एवं स्वयं के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। ता. 14 अप्रै. से 14 मई तक राशिस्वामी सूर्य उच्चस्थ होने भाग्योन्नति, उच्च-प्रतिष्ठित
लोगों के साथ सम्पर्क/ सम्बन्ध बनेंगे। ता. 22 अप्रैल से वर्षान्त तक गुरु की विशेष पंचम शुभ दृष्टि पड़ने से शुभ कार्यों की ओर प्रवृत्ति बढ़ेगी।

इस वर्ष सफलता, प्रगति के लिए स्वभाव के गुण ही विपरीत स्थिति में सहयोग देंगे। वास्तव में वैचारिक तनाव, उतार-चढ़ाव, मानसिक असंतोष बढ़ेगा। पुरानी समस्याएं, प्रगति की बाधाएं, रुकावटें असहयोग में सुधार तो होगा, मगर नई बातें सामने आएंगी। एक छेड़ दूसरों को सुलझाना होगा। समय स्थिति सुधरेगी, महसूस कम होगी। आर्थिक दृष्टि से बेहद सुखद स्थिति नहीं मान सकते। फिर भी समय पर आमदनी राहत मिल पाएगी। रुका पैसा मिलेगा। कर्ज, लेन-देन, कानूनी रुकावटों से राहत रहेगी। पद-प्रतिष्ठा, कार्यकुशलता का प्रतिफल रहेगा। फिर भी पूर्व अनुभव, तात्कालिक स्थितियां भयभीत रखेंगी जिससे नियमित कामकाज पर असर पड़ेगा। कामकाज के निर्णयों, कार्यकुशलता में फर्क पड़ेगा जिससे जवाबदेही बढ़ेगी। नौकरी में अधिकारी असंतोष दशायेंगे। व्यापार-व्यवसाय सामान्य से अधिक बेहतर रहेगा। अवसर मिलेंगे। नई कुछ योजना, विचार क्रियान्वयन कर पाएंगे। व्यापकता, कार्यक्षेत्र की प्रतिष्ठा रहेगी। फिर भी सरकारी कायदे- कानून कागजों से अधिक उलझनों से नुकसान प्रतिष्ठा की बात न बनने दें। गुप्तता रखें। अधीनस्थों से काफी सतर्कता रखना होगी। सहजता से विश्वास न करें। विद्यार्थियों को खूब परिश्रम करना होगा। मामलों में परिश्रम, उद्देश्य, कॅरियर के प्रति गंभीरता से प्रयास करेंगे तो ही उचित परिणाम आएंगे। अपना विश्वास ही सही कार्य करेगा। महिलाओं के लिए वर्ष वैसे धीमी प्रगति वाला रहेगा। उतार- चढ़ाव, संघर्ष, अनिश्चितता में भी प्रयासरत रहना होगा। सफलता, प्रगति, विचार, योजना अनुरूप कार्य अंतिम स्थिति में हार, थकान के बाद ही होंगे। कार्यक्षेत्र में भी उत्साह, विश्वास बनाकर रखना होगा। परिवार को सूत्रबद्ध रखना होगा। इच्छा, जिद को थोड़ा विराम देना होगा।

उपाय (1) वर्षभर (17 जन. के बाद) शनि की अशुभ दृष्टि के निवारण हेतु हर शनिवार को शनि मन्दिर में तेल, तिल चढ़ाना और ‘शनि स्तोत्रम्’ का पाठ करना शुभ रहेगा।

(2) हर संक्रान्ति को ‘सूर्य गायत्री मन्त्र’ की एक माला तथा सूर्यार्घ्य देवें तथा धर्मस्थान पर आटा, गुड़, लाल फल एवं लाल वस्त्र का दान शुभ होगा।

(3) जन्मदिन पर जन्मदिन पूजन करवाकर अष्ट-दीर्घजीवी आचार्यों का पूजन करें।

श्री गणेशजी की प्रार्थना, पूजा उपयोगी रहेगी। विशेष तौर पर सायंकालीन पूजन-दर्शन से लाभ यात्रा दर्शन अथवा कुछ संकल्प, कष्ट से दर्शन-पूजन राहत बढ़ाएंगे।

मासिक राशिफल

जनवरी सूर्य पंचमस्थ होने तथा मासभर मंगल की दृष्टि रहने से पराक्रम एवं उत्साह में वृद्धि होगी। परन्तु ता. 12 से पुनः शनि की शत्रु दृष्टि रहने से कार्य-व्यवसाय में संघर्ष व कठिनाईयों का सामना रहे। व्यवसायिक एवं घरेलु उलझनों के कारण मन अशान्त रहे। तथा खर्च भी अधिक रहे।

फरवरी मंगल की चतुर्थ दृष्टि रहने से संयमपूर्वक व्यवहार करें, अनावश्यक तकरार एवं कलह-क्लेश से बचें। ता. 13 से सूर्य की भी दृष्टि रहने से लाभ व उन्नति के चाँस बनेंगे। सन्तान सम्बन्धी चिन्ता और पारिवारिक मतभेद रहेंगे।

मार्च सूर्य मंगल शनि ग्रहों की दृष्टियां रहने से निर्वाह योग्य धन लाभ संघर्ष के पश्चात् ही प्राप्त होगा। मानसिक तनाव, क्रोध एवं गुप्त परेशानियों का सामना रहेगा। ता.15 से सूर्य अष्टमस्थ होने से शरीर कष्ट एवं स्वभाव में उग्रता आएगी।

अप्रैल व्यवसाय की स्थिति मध्यम रहेगी। शनि की दृष्टि के कारण धनागमन में बाधाएं उत्पन्न होंगी। स्त्री/पति का सुख कम मिलेगा। नौकरी में अफसरों से मतान्तर का भय, निकट-बन्धु से मनमुटाव होगा।

मई राशिस्वामी सूर्य ता. 14 तक उच्चस्थ होने से विघ्न-बाधाओं के बावजूद धन-लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। प्रोमोशन (उन्नति) के प्रबल चाँस बनते हैं। किसी उच्चाधिकारी से सम्पर्क बनेंगे। गुरु की विशेष पंचम दृष्टि रहने से शुभ कार्यों की ओर प्रवृत्ति बढ़ेगी।

जून किसी गुरुजन अथवा श्रेष्ठ जन की सहायता से बिगड़े कार्यों में धीरे-धीरे सुधार होगा। अकस्मात् धन लाभ हो तथा मानसिक दृष्टिकोण में भी परिवर्तन होगा। धन का व्यय भी शुभ एवं मांगलिक कार्यों पूरा होगा।

जुलाई लाभस्थ सूर्य तथा गुरु की दृष्टि होने से धर्म-कर्म की ओर रुचि होगी। एवं किसी शुभ कार्य पर खर्च होंगे। परन्तु शनि की भी दृष्टि होने तथा ता. 16 से सूर्य 12वें होने से खर्च अधिक, कार्य व्यस्तताएं भी रहेंगी। कही व्यर्थ की यात्रा भी होगी।

अगस्त किसी शंका के कारण दाम्पत्य जीवन में मनमुटाव उत्पन्न होगा। अकस्मात् धन का अपव्यय व वृथा यात्रा के योग हैं। सोच-विचार कर खर्च करें। आलस्य में वृद्धि और व्यर्थ चिन्ता होगी। उपाय-ता. 17 तक ‘पुरुषोत्तम माहात्म्य’ का पाठ करना शुभ रहेगा।

सितम्बर ता. 16 तक सूर्य स्वराशिगत संचार करने से दैनिक कार्यों एवं सरकारी क्षेत्रों में कुछ रुके हुए कार्यों में प्रगति होगी। यद्यपि आय के साधन सीमित रहेंगे। ता. 16 से वृथा भ्रमण, व्यर्थ का खर्च एवं मुश्किल हालात में धन लाभ मध्यम रहेगा।

अक्तूबर किसी महत्त्वपूर्ण कार्य में विघ्नों के पश्चात् सफलता प्राप्त होगी। शुभ समाचारों का आदान-प्रदान होगा। ता. 17 से सूर्य नीचराशिगत होने से व्यवसाय में अत्यधिक संघर्ष के बाद निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगे। परिवार में व्यर्थ का तनाव और खर्च की अधिकता रहेगी।

नवम्बर वृथा खर्चों के कारण परेशानी होगी। भागदौड़ के उपरान्त भी आय अल्प रहेगी। परिवार सम्बन्धी चिन्ता रहेगी। ता. 16 के बाद व्यापार में मित्रों और सम्बन्धियों का सहयोग प्राप्त होगा। नए-नए लोगों से मेल-मिलाप हो।

दिसम्बर अत्यधिक संघर्ष के बावजूद कुछ कार्यों में सफलता और कुछ कार्यों में विलम्ब होगा। सोची हुई योजनाओं में आंशिक सफलता मिलेगी। व्यापार के विस्तार की भी योजनाएं बनेंगी। यात्रा की भी योजना बनेगी।

Translate »