दिल्ली/सोनभद्र।माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आशीष चौबे के याचिका पर सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी सोनभद्र समेत नौ लोगों को नोटिस जारी कर एक महीने के अंदर जवाब मांगा है |
माननीय कोर्ट ने 7 सितंबर 2022 अक्टूबर को जारी अपने आदेश में एक ज्वाइंट कमेटी अतिरिक्त मुख्य सचिव वन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (HOFF), उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिलाधिकारी सोनभद्र को शिकायत कर्ता के साथ स्थलीय निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट मांगी थी
परंतु उक्त कमेटी निर्धारित समय में रिपोर्ट देने में विफल रही |
कोर्ट ने अब 19 दिसंबर 2022 को मामले में सुनवाई कर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए जिलाधिकारी सोनभद्र, ए सी पी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड , पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार , यूपी राज्य राजमार्ग प्राधिकरण, प्रधान मुख्य वन सरक्षक वन विभाग ,जिला वन अधिकारी सोनभद्र ,क्षेत्रीय वन अधिकारी कैमूर वन्यजीव ,पर्यावरण मंत्रालय लखनऊ (सेंट्रल) , को नोटिस जारी कर एक महीने के अंदर जवाब मांगा है अगली सुनवाई 6 फरवरी 2023 को निर्धारित की गई हैं|
बताते चले की एसीपी टॉलवेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा लोढ़ी में कैमूर वन्य जीव क्षेत्र में बने आवास , ऑफिस के भवन निर्माण से संबंधित है याचिका कर्ता ने कैमूर वन्य जीव क्षेत्र में बने आवास ऑफिस को नियम विरुद्ध बताया है तथा पर्यावरण सरक्षण अधिनियम , वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के उलंघन का को लेकर है जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता याचिका कर्ता आशीष चौबे ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
आशीष चौबे का कहना है की जनपद सोनभद्र अपार प्राकृतिक संपदाओं वाला जिला है , प्राकृतिक संपदाओं का सरक्षण करना हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है संविधान के अनुच्छेद 51 क के खंड (छ ) के अनुसार प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि “ प्राकृतिक पर्यावरण , जिसके अंतर्गत वन , झील , नदी और वन्य जीव हैं, की रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणि मात्रा के प्रति दया भाव रखे”
जनपद में आपार प्रकृतिक संपदा है उसका दोहन रोकना हम सभी का नैतिक कर्तव्य व कानूनी अधिकार है प्राकृतिक संपदाओं के दोहन के खिलाफ यह लड़ाई जारी रहेगी जनपद सोनभद्र में पर्यावरण दोहन करने वाले अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अप्राकृतिक रूप से पर्यावरण ,जीव जंतुओं को लगातार नुकसान पहुंचाने का कार्य कर रहे और जनपद को अप्राकृतिक तरीके से अपना व्यवसाय चला कर दोहन करते चले जा रहे हैं पर्यावरण हित व जन हित में इसे रोकना अति आवश्यक है|