पंडित पारसनाथ मिश्र को मिला अजय शेखर सम्मान

नगरपालिका के निराला सभागार में शब्द – स्वर साधकों की सजी अदब की महफ़िल

—-एक कवि के स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर अवरोध बना चर्चा का विषय

सोनभद्र(सर्वेश कुमार)। संवेदनशील सामाजिक कार्यकर्ताओं , सक्रिय रचनाकारों का स्वतंत्र जन- अभियान काशी
हिन्दू विश्व विद्यालय से सफर करते हुए विगत चार वर्षों से सोनभद्र में भी अलख जगा रहा है । समाजवादी विचार के रचनाकार नरेंद्र नीरव संयोजक की हैसियत से चतुर्थ अजय शेखर सम्मान शब्द स्वर साधक वशिष्ठ गोत्रीय पंडित पारसनाथ मिश्र को समारोह के बीच प्रदान किया । जनपद के हृदयस्थल स्थित नगरपालिका परिषद के निराला सभागार में रविवार का दिन साहित्य के नाम रहा।
सारस्वत उपस्थिति
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यह आयोजन कितना सफल रहा इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि कौन- कौन साहित्यकार साक्षी थे-


मधुरिमा के निदेशक अजय शेखर , राजा शारदा महेश इण्टर कालेज के पूर्व प्रधनाचार्य अर्थशास्त्री शिवधारी शरण राय , कथाकार – असुविधा के संपादक रामनाथ शिवेंद्र , डॉ लखन राम जंगली , गीतकार जगदीश पंथी , सोन साहित्य
संगम के संयोजक राकेश शरण मिश्र एडवोकेट , वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक विजय शंकर चतुर्वेदी , विंध्य संस्कृति शोध समिति के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी , गीतकार ईश्वर विराज,कवि प्रदुम्न कुमार त्रिपाठी, अमरनाथ अजेय , विनोद कुमार चौबे एडवोकेट , सोन साहित्य संगम के उपनिदेशक सुशील राही , युवा कवि प्रभात सिंह चंदेल, डॉ वी पी सिंगला , विकास वर्मा, दिवाकर द्विवेदी मेघ विजयगढ़ी ,अशोक तिवारी एडवोकेट , कौशल्या चौहान , अरुण चौबे ,चंद कांत शर्मा , दिलीप कुमार दीपक , खुर्शीद आलम , सुरेश तिवारी दयानंद दयालु और धर्मेश चौहान आदि। लगातार तीन बार राबर्ट्सगंज विधान सभा से विधायक रहे सादगी के प्रतिमूर्ति तीरथराजकी अध्यक्षता में ‘अजय शेखर सम्मान पंडित पारसनाथ मिश्र को जब आयोजक द्वारा दिया जा रहा था तब वैदिक मंत्रोचार और साहित्यकारों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कुछ चेहरे ऐसे भी थे जिनकी पलकें अश्को से बोझिल सी दिखी ऐसे में एक तो पारस नाथ जी के जेष्ठ पुत्र सेवानिवृत्त पशु चिकित्सक ड़ॉ अनूप मिश्र , उनके पुत्र और परिवारी जन शामिल थे । कार्यक्रम में सूत्रधार की भूमिका में ईश्वर प्रसाद स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक पत्रकार भोलानाथ मिश्र रहे ।


स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर कुठाराघात से साहित्यकार आक्रोशित

सम्मान समारोह में एक समय ऐसा भी आया जब एक स्वतंत्र रचनाकार एवं नगर की सुप्रसिद्ध साहित्यिक संस्था से जुड़े साहित्यकार के कविता पाठ के समय उसकी मौलिक एवं स्वतंत्र रचना पर आयोजक द्वारा अवरोध उत्पन्न कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात करने का दुस्साहस किया गया! वही रचनाकार के साथ आयोजक के इस ब्यवहार से असंतुष्ट एवं आक्रोशित एक वरिष्ठ साहित्यकार ने घोर आपत्ति दर्ज कराते हुए उन्हें माफी माँगने के लिए मजबूर कर दिया, जो साहित्यिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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